UP Nazul Land Bill: यूपी में नजूल संपत्ति विधेयक को लेकर सियासी घमासान मचा हुआ है. इस विधेयक को लेकर चर्चा काफी वक़्त से चल रही थी ताकि 2,00,000 करोड़ की लगभग 75,000 एकड़ भूमि के इस नजूल संपत्ति के बंदरबाट को प्रदेश में रोका जा सके. दरअसल, उत्तर प्रदेश में करीब 72 से 75,000 एकड़ नजूल की जमीन है, जिसकी बाजार की कीमत 2,00,000 करोड़ से भी ज्यादा है. नजूल भूमि पर अवैध कब्जा कर लेना भूमाफिया द्वारा कौड़ियों के भाव में फ्री होल्ड करा लेने का खेल लंबे वक्त से चल रहा है.
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जानें कैसे पनपता है जमीनों पर अवैध कब्चे का धंधा
अंग्रेजों के वक्त की लीज़ की हुई जमीन का अगर कोई वारिस नहीं है तो बड़े भूमाफिया पहले उस पर अवैध कब्जा करते हैं और फिर फर्जी फ्री होल्ड कराने का गोरखधंधा चलता है, जिसमें अफसरों, भूमाफियाओं और नेताओं की मिलीभगत होती है. वहीं लीज़ की जमीन पर मार्केट कॉम्प्लेक्स और व्यवसायिक गतिविधियों के केंद्र बना कर करोड़ों का कारोबार फलता फूलता है. नजूल भूमि को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल यूं ही गर्म नहीं है. करीब तीन दशक पहले केंद्र सरकार द्वारा गठित वोहरा कमिटी ने इस समस्या से देश को परिचित करा दिया था.
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नजूल भूमि को लेकर उत्तर प्रदेश में राजनीतिक माहौल गर्म
1993 में आई वोहरा कमेटी की रिपोर्ट राजनेता, अपराधी, भूमाफिया, नौकरशाह और न्यायपालिका से जुड़े लोगों के संगठित गिरोह पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि बड़े शहरों में आय का मुख्य स्रोत अचल संपत्ति से संबंधित है. मौजूद निवासियों और किरायेदारों को बाहर निकालकर सस्ते दामों पर ऐसी संपत्तियों को खरीदना और बेचना व्यवसाय का रूप ले चुका है. यही नहीं इस रिपोर्ट में राजनेता, माफिया, अफसरों और अपराधियों के नेक्सस पर भी चिंता जताई गई थी.