उत्तर प्रदेश में निजीकरण के खिलाफ सोमवार से सभी बिजली कर्मचारी हड़ताल पर हैं. इसके बाद से ही राज्य में अबतक बत्ती गुल हैं. निजीकरण के खिलाफ कर्मचारियों के विरोध की वजह से पूरे प्रदेश में बिजली संकट पैदा हो गई है. जहां एक तरफ बिजली नहीं आने से लोगों के कार्य प्रभावित हो रहे हैं वहीं दूसरी तरफ आम जनता गर्मी से पूरी तरह बेहाल हो चुकी हैं. मामले की स्थिति को देखते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को बड़ी बैठक बुलाई.
ऊर्जा विभाग की बड़ी बैठक में वित्त मंत्री सुरेश खन्ना, ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी, अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी, प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार और वित्त विभाग के अधिकारियों को तलब किया गया है.
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गौरतलब है कि सोमवार को लाखों बिजली कर्मचारियों ने निजीकरण के विरोध में हड़ताल किया. इन कर्मचारियों में जूनियर इंजीनियर, उप-विभागीय अधिकारी, कार्यकारी इंजीनियर और अधीक्षण अभियंता भी शामिल थे. बिजली कर्मचारियों ने चेतावनी दी कि यदि केंद्र ने इस फैसले को वापस नहीं लिया तो अनिश्चितकाल के लिए काम का बहिष्कार किया जाएगा. हालांकि इस मसले का बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश की गई, मगर कोई नतीजा न निकल सका. अब आगे भी लोगों को बिजली की समस्या का सामना करना पड़ सकता है.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के जिला संयोजक अवधेश कुमार ने बताया कि देश के अन्य स्थानों, जैसे ओडिशा, दिल्ली, औरंगाबाद, नागपुर, जलगांव, उज्जैन, ग्वालियर, भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर में बिजली क्षेत्र का निजीकरण असफल रहा है. उन्होंने दावा किया कि निजीकरण जनता के खिलाफ है, क्योंकि इससे बिजली महंगी हो जाएगी. इस बीच गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने कहा कि किसी भी कीमत पर बिजली की 24 घंटे निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी.
Source : News Nation Bureau