उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का कार्यकाल बढ़ाने का आदेश देने से इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया है और अपर प्रमुख सचिव अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ के 30 सितंबर 20 के आदेश को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने प्रमुख सचिव को प्रशासक नियुक्त करके 28 फरवरी तक बोर्ड का चुनाव कराकर चार्ज सौंपने का आदेश दिया है. कोर्ट ने कहा कि 30 सितंबर का आदेश रद होने से इस दौरान लिए गए फैसलों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
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यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति एसएस शमशेरी की खंडपीठ ने नसीमुद्दीन व अन्य की याचिका पर दिया है. याची का कहना था कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड का चुनाव पांच साल का कार्यकाल समाप्त होने के पहले करा लिया जाना चाहिए. एक अप्रैल, 2020 को कार्यकाल समाप्त हो गया. कोविड-19 के प्रकोप के कारण छह माह के लिए कार्यकाल बढ़ाया गया. इसके बाद भी चुनाव न कराकर कार्यकाल बढ़ाया जा रहा है. ऐसा करने का राज्य सरकार को अधिकार नहीं है.
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याची का कहना था कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड में छह सौ से कम वोटर हैं. ऐसे में शारीरिक दूरी मानक का पालन करते हुए चुनाव कराया जाना चाहिए. हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को बोर्ड के कार्यकाल बढ़ाने की अधिकारिता नहीं है. ऐसी आपात आवश्यकता नहीं थी, जिससे कार्यकाल बढ़ाना अपरिहार्य था. वहीं, सरकार का कहना था कि कोरोना संक्रमण के चलते डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट के तहत कार्यकाल बढ़ाने का आदेश दिया गया है. कोर्ट ने जिसे नहीं माना और चुनाव कराने का निर्देश दिया है.
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बता दें कि उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड कार्यकाल 30 सितंबर, 2020 को दूसरी बार खत्म हो गया था, जिसे जुफर फारूकी के नेतृत्व में छह महीने का विस्तार दे दिया गया था. इससे पहले यूपी सरकार ने एक अक्टूबर से छह माह का विस्तार दिया था. कोरोना संक्रमण के कारण सुन्नी वक्फ बोर्ड का चुनाव नहीं कराए जा सके थे.
Source : News Nation Bureau