उत्तर प्रदेश को चित्रकूट के तुलसी जलप्रपात में अपना पहला ग्लास स्काईवॉक मिलेगा. उत्तर प्रदेश वन निगम ने चित्रकूट वन मंडल के मारकुंडी रेंज में झरने के ऊपर ग्लास स्काईवॉक ब्रिज बनाने का प्रस्ताव दिया है. पहले इसे शबरी जलप्रपात कहा जाता था, लेकिन इस साल की शुरुआत में राज्य सरकार ने इसका नाम बदलकर तुलसी जलप्रपात कर दिया. यहां 40 फीट की ऊंचाई से पानी की तीन धाराएं गिरती हैं. ग्लास स्काईवॉक से नीचे जंगल का नजारा भी दिखेगा. ग्लास वॉक पूरा होने के बाद इस जगह पर आने वाले पर्यटकों की संख्या में कई गुना वृद्धि होने की संभवना है.
इस परियोजना में एक रॉक गार्डन, कैक्टस गार्डन और जलप्रपात के पास ईको टूरिजम एड-ऑन के रूप में व्यू शेड्स का भी प्रस्ताव है. परियोजना की प्रेरणा राजगीर में बिहार के स्काईवॉक ग्लास ब्रिज से मिली है. वन विभाग के प्रवक्ता ने कहा कि वे जल्द ही उन सलाहकारों से संपर्क करेंगे, जिन्होंने बिहार के कांच के पुल को डिजाइन किया था, जिसका उद्घाटन 2020 में हुआ था. यह देश की अपनी तरह की दूसरी परियोजना थी.
पहला ग्लास स्काईवॉक ब्रिज असम में बनाया गया था. वन निगम ने शुरू में चंदौली में चंद्रप्रभा वन्यजीव अभयारण्य में चंद्रप्रभा नदी पर राजदरी-देवदारी झरने की पहचान की थी, लेकिन फिर इसके लिए चित्रकूट को चुना गया.
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Source : IANS