उत्तर प्रदेश के सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर नियमों की अनदेखी करने के लिए 5 करोड़ रुपये का भारी-भरकम जुर्माना लगाया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज पर जुर्माना लगाते हुए कॉलेज के छात्रों को भी आदेश दिए हैं कि वे MBBS का कोर्स पूरा करने के बाद दो साल तक सामुदायिक सेवाओं में काम करेंगे. कोर्ट ने कहा है कि मेडिकल काउंसिल तय करेगा कि इन छात्रों को कौन-सी सामुदायिक सेवाओं में शामिल करना है. बता दें कि सरस्वती मेडिकल कॉलेज ने मेडिकल काउंसिल के नियमों के खिलाफ जाकर 132 छात्रों को MBBS में एडमिशन दिया था.
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कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि सरस्वती मेडिकल कॉलेज से वसूली जाने वाली 5 करोड़ रुपये की राशि से गरीब छात्रों की मदद की जाएगी ताकि उन्हें मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन मिल सके. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए बकायदा एक ट्रस्ट बनाने के भी आदेश दिए हैं. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के महालेखाकर को इसकी जिम्मेदारी सौंपी है. बताते चलें कि इससे पहले कभी भी MBBS छात्रों से सामुदायिक सेवाएं नहीं कराई गई हैं. MBBS छात्र सजा के तौर पर दो साल तक सामुदायिक सेवाएं देंगे.
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कोर्ट ने कहा कि सरस्वती मेडिकल कॉलेज में एडमिशन लेने वाले ये छात्र जानते थे कि वे मेडिकल काउंसिल के नियमों के मुताबिक एडमिशन के लिए योग्य नहीं थे. इसके बावजूद उन्होंने नियमों की अनदेखी करते हुए MBBS में एडमिशन ले लिया. बताया जा रहा है कि ये सभी छात्र नीट की मेरिट के अनुसार एडमिशन के लिए योग्य नहीं थे. कोर्ट ने कहा कि 2017-18 में हुए छात्रों का एडमिशन पूरी तरह से अवैध था.
कोर्ट ने कहा कि इन छात्रों की याचिका उसी वक्त खारिज कर देनी चाहिए था. कोर्ट ने कहा कि छात्रों ने जो काम किया है, उसे देखते हुए उनका एडमिशन निरस्त कर देना चाहिए था. लेकिन इन्होंने दो साल तक पढ़ाई कर ली है तो उन्हें केवल सजा के तौर पर दो साल सामुदायिक सेवा कराई जाएगी.
HIGHLIGHTS
- मेडिकल काउंसिल के नियमों की अनदेखी
- सुप्रीम कोर्ट ने सरस्वती मेडिकल कॉलेज पर लगाया 5 करोड़ का जुर्माना
- छात्रों का सजा के तौर पर दो साल तक देनी होंगी सेवाएं
Source : News Nation Bureau