आगरा में एक 83 साल के व्यक्ति ने अपनी लगभग 2.5 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति जिलाधिकारी के नाम कर दी है. गणेश शंकर पांडे ने दावा किया कि उसका बड़ा बेटा उसे परेशान कर रहा है और वह चाहता है कि उसे उसकी संपत्ति विरासत में मिले. गौरतलब है कि इसके पहले ओडिशा में एक महिला के अपनी संपत्ति एक रिक्शा चालक के नाम कर दी थी. तंबाकू का कारोबार करने वाले पांडे ने अपनी वसीयत की एक प्रति भी सिटी मजिस्ट्रेट प्रतिपाल सिंह को सौंपी.
पांडे ने कहा, 'मैंने पीपल मंडी में अपने 250 वर्ग गज के घर को बहुत विचार-विमर्श के बाद जिलाधिकारी को हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है.' उन्होंने कहा, 'मेरे घर में मेरा सबसे बड़ा बेटा दिग्विजय, उसकी पत्नी और दो बच्चे रहते हैं. दिग्विजय लगातार संपत्ति के हिस्से की मांग कर रहा हैं और इससे मुझे बहुत परेशानी हुई है. मेरा बेटा मेरा सम्मान नहीं करता है और अक्सर मेरे साथ दुर्व्यवहार करता है. वहां मेरे लिए उसकी परवाह करने का कोई कारण नहीं है. मैं उसे उस व्यवसाय पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कह रहा हूं जिसे मैंने वर्षों में विकसित किया है, लेकिन वह इसके बजाय मेरी संपत्ति हड़पने की कोशिश कर रहा है. इसीलिए मैंने स्थानांतरित करने का मन बना लिया है संपत्ति को जिला मजिस्ट्रेट के पास भेज दिया ताकि मेरी मौत के बाद सरकार द्वारा इसका उचित उपयोग किया जा सके. मेरे पास खुद जीने के लिए पर्याप्त धन है.'
सूत्रों के मुताबिक गणेश शंकर पांडे ने अपने तीन छोटे भाइयों के साथ मिलकर 1983 में 1,000 वर्ग गज की संपत्ति अर्जित की थी. उस प्लाट पर चारों भाइयों ने एक बड़ा सा घर बना लिया. चारों भाइयों के परिवार एक ही संपत्ति में रहते हैं. बाद में आपसी समझ से संपत्ति को चार भागों में बांटा गया. प्रतिपाल सिंह ने कहा, 'सर्कल रेट के हिसाब से संपत्ति कई करोड़ रुपये की है. पूरा मामला जिलाधिकारी के संज्ञान में लाया गया है.' इस बीच जिला मजिस्ट्रेट प्रभु एन सिंह ने कहा, 'इस मामले पर गणेश शंकर पांडे के साथ चर्चा की जाएगी. अगर वह किसी भी परेशानी में हैं तो हम उनकी उचित मदद करेंगे. अगर वह औपचारिक शिकायत दर्ज करते हैं, तो रखरखाव के तहत आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.'
HIGHLIGHTS
- बेटे के दुर्व्यवहार से त्रस्त बुजुर्ग पिता का फैसला
- पुलिस-प्रशासन ने दिया मदद का आश्वासन
Source : News Nation Bureau