विकास दुबे के ऊपर हर घंटे 3000 रुपये के औसत से इनामी राशि बढ़ी. मुठभेड़ में आठ पुलिसकर्मियों की मौत से पहले विकास पर कोई इनामी राशि नहीं थी. वारदात के 6 दिन बाद यूपी का मॉस्टवांटेड 5 लाख का इनामी विकास बना. यानि वारदात के बाद पुलिस ने हर घंटे औसतन 3 हजार रुपये के हिसाब से इनामी राशि बढ़ाई. वारदात के तकरीबन 150 घंटे बाद विकास पुलिस की गिरफ्त में आया. पुलिस की 100 से ज्यादा टीम विकास दुबे को तलाश कर रही थीं. विकास दुबे की तलाश में छह दिन में पुलिस ने उसके पांच गुर्गों को मुठभेड़ में मार गिराया. एक ही थाने में 60 मुकदमे थे. फिर भी इनामी नहीं था. विकास दुबे पर सिर्फ चौबेपुर थाने में ही 60 मुकदमे दर्ज थे.
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यूपी का मॉस्टवांटेड 5 लाख का इनामी बना
इसके बावजूद वह जिले के टॉप 10 अपराधियों की लिस्ट में नहीं था और ना ही यूपी पुलिस की वांटेड लिस्ट में शामिल था. 8 पुलिसवालों की शहादत के बाद आनन-फानन में विकास के ऊपर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया गया. 4 जुलाई को एक लाख का इनाम घोषित हुआ. 5 जुलाई को टॉप-3 अपराधियों में शामिल विकास हुआ. इनाम की राशि ढाई लाख हुई. 8 जुलाई को यूपी का मॉस्टवांटेड अपराधी विकास बना. इनाम 5 लाख हुआ.
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गिरफ्तारी या सरेंडर... उठ रहे सवाल
कानपुर हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद कई सवाल उठने लगे हैं. इसको लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्ष सवाल उठा रहा है. प्रियंका गांधी, अखिलेश यादव, दिग्विजय सिंह के बाद कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने बीजेपी सरकार पर गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने शिवराज सरकार पर बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि विकास दुबे को मध्य प्रदेश में भाजपा नेताओ ने संरक्षण दिया है.ये सब सुनियोजित नजर आता है. कैसे गिरफ़्तारी हुई? कैसे सरेंडर हुआ? मैं इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग करता हूं. सीबीआई जांच में स्पष्ट होगा, इसमें कौन दुबे शामिल है? और कौन मिश्रा शामिल है?