उत्तर प्रदेश के आगरा में एक जज अपने पद का बैजा इस्तेमाल करते दिखें. दरअसल, यहां के जज साहब ने एक पुलिस वाले को कार को रास्ता नहीं देने पर उन्हें बिना वर्दी के खड़े रहने की सजा सुना दी. इस घटना के बाद यूपी के डीजीपी ने इस मामले में ट्वीट करने और आगरा के एसएसपी द्वारा मामले को हाईकोर्ट को रेफर करने के बाद जज साहब का तुरंत ट्रांसफर कर दिया गया.
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जज का तबादला इलाहाबाद उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल मयंक कुमार जैन के आदेश पर हुआ किया गया. आगरा पुलिस लाइन में तैनात ड्राइवर घूरे लाल ने पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार से शिकायत की थी कि एक न्यायिक अधिकारी ने शुक्रवार को कोर्ट में बुलाकर उसकी वर्दी उतरवा दी.
सिपाही के मुताबिक, न्यायिक अधिकारी ने उससे कहा कि उसने उनकी गाड़ी को साइड नहीं दी, इसलिए यह सजा दी जा रही है. यह कार्रवाई आगरा के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार द्वारा प्रशासनिक जज और जिला जज को भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर हुई है.
बता दें कि घटना शुक्रवार दोपहर की है. जब वज्र वाहन जिला कारागार से किशोर कैदियों को लेकर मलपुरा क्षेत्र के सिरोली रोड पर स्थित किशोर न्यायलय बोर्ड जा रहा था, उसी दौरान पीछे से किशोर न्यायालय बोर्ड के जज संतोष कुमार यादव अपनी कार से आ रहे थे. जज की कार के चालक ने साइड देने के लिए हॉर्न और हूटर का इस्तेमाल किया, लेकिन सिपाही चालक ने जज की गाड़ी को साइड नहीं दी. थोड़ी देर में वज्र वाहन कोर्ट पहुंचा. उसके पीछे जज भी अपनी कार से पहुंचे.
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जज ने वज्र वाहन चालक को बुलाया और साइड न देने के लिए जमकर फटकार लगाई और चालक की वर्दी भी उतरवा दी. इस घटना के वक्त कोर्ट परिसर में काफी लोग भी मौजूद थे. वहां मौजूद किसी शख्स ने इस बात की जानकारी कंट्रोल रूम को दी. वहीं, मामला सामने आने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया. मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू की. जज से बातचीत के बाद ही चालक को वर्दी पहनने दी गई.
मामला सामने आने के बाद एसएसपी ने घूरे लाल और तीनों सिपाहियों को पुलिस लाइन बुलाकर उनका बयान दर्ज किया. इसके बाद मामले की पूरी रिपोर्ट प्रशासनिक जज और जिला जज को भेज दी. शनिवार को हाईकोर्ट ने जज का तबादला कर दिया गया.