भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) ने राज्य भर के कलेक्ट्रेट परिसरों में अनिश्चितकालीन धरने पर बैठे सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ नए कृषि कानूनों के खिलाफ और गन्ने का बकाया दिए जाने की मंजूरी के लिए राज्य स्तरीय आंदोलन शुरू कर दिया है. बीकेयू नेताओं ने कहा कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गईं तो वे नियमित कामकाज में रुकावट डालेंगे और परिसर के अंदर ही सभी त्योहार मनाएंगे. उधर रामपुर में आंदोलन के लिए सोमवार को बीकेयू के बैनर तले सैकड़ों किसान बैलगाड़ी और ट्रैक्टर ट्रॉलियों के साथ कलक्ट्रेट पहुंचे थे.
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रामपुर बीकेयू के जिला अध्यक्ष हसीब अहमद ने कहा, "महामारी और लॉकडाउन के कारण किसान आर्थिक तंगी में हैं. गन्ने का बकाया भी नहीं दिया गया और संसद ने ऐसे कृषि विधेयक पारित कर दिए हैं, जो किसानों का जीवन बर्बाद कर देंगे. जब तक सरकार इन किसान विरोधी कानूनों को वापस नहीं लेगी तब तक धरना जारी रहेगा."
राज्य में 119 में से 35 शुगर मिलों में गन्ना पेराई का काम शुरू हो गया है. एक अधिकारी के अनुसार, मिलों ने पिछले सीजन से लगभग 29,000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है, फिर भी वे उप्र के 40 लाख गन्ना किसानों का सामूहिक रूप से 66,000 करोड़ रुपये देना बकाया है.
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बिजनौर में बीकेयू के युवा विंग के प्रदेश अध्यक्ष दिगंबर सिंह के नेतृत्व में आए गन्ना किसानों ने कलेक्ट्रेट परिसर के अंदर तंबू गाड़ दिए हैं. सिंह ने कहा, "सरकार किसानों को उनका बकाया समय पर दिलाने में विफल रही है, वह उन्हें वित्तीय संकट में धकेल रही है. लॉकडाउन खत्म हो गया है और मिलें अभी भी भुगतान नहीं कर रही हैं. किसानों ने कहा, पेराई सत्र शुरू हो गया है, लेकिन राज्य द्वारा एसएपी को मंजूरी देना बाकी है. हम मांग कर रहे हैं कि नए एसएपी को 325 रुपये से बढ़ाकर 450 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया जाए. एक राज्य स्तरीय गन्ना अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि नई एसएपी तय करने के लिए जल्द ही बैठक होगी और किसानों को गन्ना बकाया दिलाने के लिए भी राज्य सरकार कदम उठा रही है.
Source : IANS