उत्तर प्रदेश के हाथरस गैंगरेप (Hathras Gangrape Case) मामले ने पूरे देश को हिला के रख दिया है. जहां एक तरफ अपराधी और लचर होती कानून व्यवस्था को लेकर जनता का गुस्सा उफान पर हैं. वहीं दूसरी तरफ तमाम राजनीतिक पार्टियां योगी सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरकर हल्ला बोल रही हैं. हाथरस मामले में मृतक पीड़िता के परिवार के साथ जिस तरह का असंवेदनशील व्यवहार किया जा रहा है उसने यूपी प्रशासन पर कई सवाल खड़े कर दिए हैं.
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गैंगरेप पीड़िता एक दलित युवती थी इसलिए भी इस मामले ने तेजी से तूल पकड़ा, क्योंकि देश में दलितों पर हिंसा तेजी से बढ़ रहे हैं. मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए यूपी पुलिस ने आनन-फानन में पीड़िता के शव का आधी रात में अंतिम संस्कार भी कर दिया. पीड़िता का परिवार रोता-बिलखता रहा लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी और शव को बिना हिंदू रीति-रिवाज के आग के हवाले कर दिया.
ये खबर जब सामने आई तो सियासी गलियारे से लेकर सोशल मीडिया तक में हड़कंप मच गया. हर कोई पुलिस के इस कदम की कड़ी निंदा करते हुए सवाल उठा रहे हैं. वहीं पीड़ित युवती के परिवार ने भी पुलिस पर इस मामले में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगाए हैं. पीड़िता परिवा शुरू से कह रहा है कि पुलिस ने इस मामले पर पहले बिल्कुल ध्यान नहीं दिया, जबकि हम लगातार उनसे आरोपियों पर कार्रवाही करने की मांग कर रहे थे.
आइए हम यहां पॉइंटर के जरीए समझेंगे की आखिर कैसे पुलिस ने इस मामले में लापरवाही बरती हैं, जिसकी वजह से एक मासूम लड़की की जान चली गई. हालांकि यूपी पुलिस के इस लापरवाही व्यवहार के पीछे का कारण क्या है. वो छुपाना क्या चाहती हैं, जो जबरन पीड़िता के शव तक को जला दिया गया.
यहां जानें कब-कब क्या- क्या हुआ-
- गैंगरेप का आरोप गांव के ही उच्चजाति के चार लोगों पर है.
- आरोपियों की पहचान संदीप, लवकुश, रामू और रवि के रूप में हुई.
- 14 सितम्बर को 4 में से एक आरोपी संदीप की गिरफ़्तारी हुई.
- कई दिन बाद रामु और लवकुश की गिरफ़्तारी हुई.
- 26 सितम्बर को चौथे आरोपी रवि की भी गिरफ़्तारी हुई.
- शुरुआत में पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया.
- शुरुआत में पुलिस ने सिर्फ छेड़छाड़ और हत्या की कोशिश का मुक़दमा दर्ज किया.
- 22 सितंबर को लड़की की सेहत में थोड़ा सुधार हुआ तो मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में बयान दर्ज किया गया था.
- परिवार पुलिस से गुहार लगाता रहा लेकिन पुलिस ने 9 दिन तक रेप के मामले पर कोई कार्रवाई नहीं की.
- 9 दिन बाद एफआईआर में रेप की धारा जोड़ी गई.
- गैंगरेप यानी आईपीसी की धारा 376डी जोड़ी गई.
- 9 दिनों तक पुलिस गैंगरेप की बात मानने के लिए तैयार नहीं थी.
- 29 सितम्बर को आईजी पियूष मोरदिया ने कहा रेप की पुष्टि नहीं हुई.
रेप से मौत तक इस मामले में क्या-क्या हुआ
• हाथरस में जिस जगह पर वारदात हुई वो जगह लड़की के घर से 500 मीटर की दूरी पर हुई
• 14 सितंबर को रेप की वारदात हुई.
• 14 सितम्बर की रात ही गंभीर हालत में लड़की को अलीगढ़ के जेएन मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया.
• जेएन मेडिकल कॉलेज में वह वेंटिलेटर पर थी ,शुरुआत से ही उसकी हालत चिंताजनक थी.
• रीढ़ की हड्डी टूटने से पीड़ित लड़की का पूरा शरीर लकवे का शिकार हो चुका था.
• लड़की की जीभ कटी नहीं थी लेकिन जीभ पर जख्म का निशान था, वो बोलने में सक्षम थी.
• 28 सितम्बर को लड़की को दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में शिफ्ट किया गया.
• 29 सितम्बर को सुबह 6 बजे पीड़िता ने दम तोड़ दिया.
• पुलिस ने 30 सितम्बर रात 2:30 AM पर लड़की का जबरन अंतिम संस्कार कर दिया.
• लड़की के भाई ने कहा है कि पुलिस जबदरदस्ती शव को ले गई.
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वहीं बता दें कि हाथरस गैंगरेप मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad HC) की लखनऊ पीठ ने हाथरस गैंगरेप कांड को गंभीरता से लेते हुए स्वत:संज्ञान लिया है. कोर्ट ने गुरुवार को घटना पर चिंता व्यक्त करते हुए यूपी सरकार, शासन के शीर्ष अधिकारियों और हाथरस के डीएम व एसपी को नोटिस जारी किया है. न्यायमूर्ति राजन राय और न्यायमूर्ति जसप्रीत सिंह की पीठ ने इस दर्दनाक घटना पर स्वत:संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है.कोर्ट ने पीड़िता के साथ हाथरस पुलिस के बर्बर, क्रूर और अमानवीय व्यवहार पर राज्य सरकार से भी प्रतिक्रिया मांगी है. पीठ इस मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर को करेगी.
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