पुरानी पेंशन स्कीम को लागु करने के राज्य कर्मचारियों के मांग को लेकर योगी सरकार को हाईकोर्ट की तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा है. हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार से पूछा है कि यदि नई पेंशन स्कीम बेहतर है तो सरकार पहले ये स्कीम सांसदों और विधायकों के लिए क्यों नहीं लागु करती. कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि क्या सरकार अपने असंतुष्ट कर्मचारियों से कैसे काम ले सकती है.
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कोर्ट ने पूछा कि बिना कर्मचारियों की सहमति के बिना उनका अंशदान शेयर में कैसे लगा सकती है और जो कर्मचारी 30 - 35 साल से प्रदेश की सेवा कर रहे हैं क्या सरकार को उन्हें न्यूनतम पेंशन का आश्वासन नहीं देना चाहिए. बिना कर्मचारियों की सहमति के उनका अंशदान शेयर में सरकार कैसे लगा सकती है. हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि इस हड़ताल से नुकसान सरकार को नहीं बल्कि आम जनता को हो रहा है.
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हाईकोर्ट ने यूपी सरकार को कर्मचारी नेताओं की शिकायत को सुनकर नई पेंशन स्कीम की खामियों को दूर कर 10 दिन में पूरे ब्यौरे के साथ हलफनामा देने का आदेश दिया है. जस्टिस सुधीर अग्रवाल और जस्टिस राजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने ये आदेश दिये हैं. अब योगी सरकार को 25 फरवरी तक हलफनामा जमा करने का निर्देश है.
बता दें कि राजकीय मुद्रणालय कर्मियों की हड़ताल से हाईकोर्ट की कॉजलिस्ट नहीं छपने से हुई थी परेशानी, न्याय प्रशासन को पंगु बनाने पर कायम जनहित याचिका पर कोर्ट ने सुनवाई की है.
Source : News Nation Bureau