उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) की राजधानी लखनऊ (Lucknow) में 19 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा (Lucknow violence) में गिरफ्तार हुए पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी औऱ सदफ जफर को आज जमानत मिल चुकी है. एसआर दारापुरी को यूपी पुलिस ने लखनऊ हिंसा केस में गिरफ्तार किया था लेकिन जब कोर्ट ने यूपी पुलिस से सुबूत मांगा गया तो पुलिस के पास एस दारापुरी को मुजरिम साबित करने के लिए कोई पुख्ता सुबूत नहीं थे जिसके चलते कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी को जमानत दे दी हालांकि उनको निजी मुचलके पर लगभग 50-50 हजार रुपये की जमानत राशि भी जमा करनी पड़ी थी.
1972 बैच के आईपीएस अधिकारी रहे एस.आर. दारापुरी, पुलिस सेवा से रिटायर होने के बाद मानवाधिकार कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे हैं. दारापुरी साल 2014 में लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं और वह 40 वर्ष तक भारतीय पुलिस सेवा के अलग-अलग पदों पर काम कर चुके हैं. दारापुरी को लखनऊ में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों की साजिश और भीड़ को उकसाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था.
इसी को लेकर कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने अपने ट्वीट पर लिखा है कि अंबेडकरवादी चिंतक और पूर्व आईपीएस श्री दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जफ़र आज जेल से रिहा हो गए. कोर्ट द्वारा सबूत माँगने पर यूपी पुलिस बगलें झांकने लगी थी. भाजपा सरकार ने निर्दोष लोगों और बाबासाहेब की विरासत को आगे बढ़ाने वाले लोगों को गिरफ्तार करके अपनी असली सोच दिखाई है. इसी के साथ उन्होंने दूसरा ट्वीट भी किया है जिस पर प्रियंका ने लिखा है कि मगर झुठ कभी नहीं जीत सकता.
अंबेडकरवादी चिंतक और पूर्व आईपीएस श्री दारापुरी और कांग्रेस नेता सदफ जफ़र आज जेल से रिहा हो गए. कोर्ट द्वारा सबूत माँगने पर यूपी पुलिस बगलें झांकने लगी थी.
भाजपा सरकार ने निर्दोष लोगों और बाबासाहेब की विरासत को आगे बढ़ाने वाले लोगों को गिरफ्तार करके अपनी असली सोच दिखाई है..1/2 pic.twitter.com/HIdyYWaIKX
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) January 7, 2020
आज लखनऊ में सेशन कोर्ट में श्री दारापुरी के केस की सनुवाई हुई जिसके बाद एडीजे एसएस पांडेय ने पूर्व आईपीएस अधिकारी दारापुरी, कांग्रेस कार्यकर्ता सदफ जफर और 13 अन्य को जमानत दे दी है. कोर्ट की तरफ से सभी को 50-50 हजार रुपये की जमानत राशि और इतनी ही राशि का निजी मुचलका भी भरने को कहा गया है. आपकी जानकारी के लिए ही पिछले सप्ताह कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने लखनऊ में दारापुरी के परिजन से मुलाकात भी की थी.
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वहीं, सदफ जाफर ने कहा कि 19 दिसंबर को जब लखनऊ में हिंसा हुई तो मैं फेसबुक लाइव के जरिए पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल खड़ा कर दिया था. हम शांतिपूर्वक सीएए के खिलाफ विरोध कर रहे थे, जो संवैधानिक है. योगी सरकार अमानवीय है. यह हिंदू और मुसलमानों के बीच फूट पैदा करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि इसी वजह से पुलिस ने हिरासत में लेकर उन्हें बेरहमी से पीटा है. यहां तक कि पुरुष पुलिस वालों ने भी मुझे पीटा था.
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पुलिसकर्मियों ने मुझे लात मारी.सदफ जाफर ने कहा कि पुलिस ने मुझे पाकिस्तानी कहा. मेरे परिवार को मेरी गिरफ्तारी के बारे में सूचित नहीं किया गया था. हजरतगंज थाने में जो लोग मेरे बारे में पूछने आ रहे थे उन्हें हिरासत में लिया गया. सैकड़ों बेगुनाहों को फंसाया गया है. यूपी के मुख्यमंत्री ने बदला शब्द का इस्तेमाल किया. क्या इस तरह की भाषा किसी राज्य के सीएम को इस्तेमाल करनी चाहिए. सरकार ने हिंसा को बढ़ावा दिया. मैं सीएए के खिलाफ लड़ाई जारी रखूंगी.
HIGHLIGHTS
- उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 19 दिसंबर 2019 को हुई हिंसा में गिरफ्तार हुए पूर्व आईपीएस एसआर दारापुरी औऱ सदफ जफर को आज जमानत मिल चुकी है.
- एसआर दारापुरी को यूपी पुलिस ने लखनऊ हिंसा केस में गिरफ्तार किया था.
- जब कोर्ट ने यूपी पुलिस से सुबूत मांगा गया तो पुलिस के पास एस दारापुरी को मुजरिम साबित करने के लिए कोई पुख्ता सुबूत नहीं थे .
Source : News Nation Bureau