उत्तर प्रदेश के मदरसों में इस बार ड्रेस कोड लागू करने को लेकर बहस छिड़ गई है। दरअसल यूपी में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मोहसिन रजा ने मंगलवार को मदरसों में ड्रेस कोड लागू करने की बात कही थी।
जिसके बाद मदरसा दारूल उलूम फिरंगी महल ने मोहसिन रजा के बयान का विरोध करते हुए कहा कि इस तरह के फैसलों में सरकार को हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मदरसों के लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं यह हम पर छोड़ देना चाहिए।
मौलवी मोहम्मद हारून ने कहा, 'मदरसों के लिए क्या अच्छा है क्या नहीं यह हम पर छोड़ देना चाहिए। वैसे भी बमुश्किल 1-2 फीसदी बच्चे ही यहां पढ़ने आते हैं। सरकार को इसके लिए चिंता करने की जरुरत नहीं है।'
बता दें कि मदरसों में ड्रेस कोड को लेकर अभी कोई फैसला नहीं किया गया है। दरअसल इस संबंध में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री ने बातचीत के दौरान बात कही थी।
इससे पहले यूपी सरकार मदरसों में होने वाली पढ़ाई के सिलेबस में बदलाव करते हुए बाकी स्कूलों की तरह मदरसों में भी एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू किया था।
मदरसों की शिक्षा में एनसीईआरटी पाठ्यक्रम लागू होने के बाद बच्चों को उर्दू के साथ-साथ हिंदी और अंग्रेजी भी पढ़ाई जाएगी।
गौरतलब है प्रदेश सरकार ने 2017-18 के लिए राज्य के बजट में अल्पसंख्यक कल्याण के लिए लगभग 1700 करोड़ रुपये आवंटित किए थे।
मान्यता प्राप्त मदरसों और प्राथमिक विद्यालयों में आधुनिक शिक्षा देने के लिए सरकार ने 394 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं।
शिक्षा विभाग द्वारा मानकों का पालन नहीं किए जाने के कारण सरकार ने सितंबर में राज्य के 46 मदरसों को अनुदान दिए जाने पर रोक लगा दी थी।
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Source : News Nation Bureau