उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Uttar Pradesh Chief Minister Yogi Adityanath ) ने अपने पहले कार्यकाल की शुरुआत से एक नई पहल की. उन्होंने जनता की सेवा की दिशा में एक नई मिसाल पेश की जब मुख्यमंत्री आवास और दफ्तर पर जुटे फरियादियों की फरियाद सुनने वो खुद उन तक जाते उनकी समस्या सुनते, अधिकारियों को निर्देश देते. इससे न सिर्फ फरियादियों को अहसास होता कि सूबे का मुखिया वाकई जनता के लिए फिक्रमंद हैं बल्कि वो बिना किसी भेदभाव के जनता की सेवा आतुर भी रहता है. क्योंकि अब तक ये माना जाता था कि नेताओं को जनता केवल चुनाव के समय याद आती है.
मुख्यमंत्री की इस पेशकश का असर अब ब्यूरोकेसी में भी दिखने लगा है जहां तमाम अफसर सीएम से प्रेरणा लेकर अपने दफ्तरों में जुटे फरियादियों को न सिर्फ जलपान करवाते दिख रहे हैं, बल्कि वो अपनी कुर्सी से उठ कर खुद उनतक पहुंचते हैं. फरियादी कुर्सी पर बैठे होते जबकि अधिकारी खुद उनके सामने खड़े होकर उनकी समस्या सुनते हैं और आवश्यक निर्देश देते हैं. एसएसपी प्रयागराज अजय कुमार को अक्सर दफ्तर में फरियादियों के लिए तय समय पर योगी स्टाइल में उनकी समस्याओं को सुनते देखा जा सकता है. जहां वो एक एक फरियादी तक पहुंचते हैं उनका हालचाल पूछते हैं और समस्या भी, फिर वो संबंधित अधिकारी और थाने को समस्या के निराकरण और न्याय करने का निर्देश भी देते हैं.
प्रयागराज में इस परंपरा की पहल वहां तैनात आईजी के.पी. सिंह ने की थी. आईजी साहब कुर्सी छोड़ खुद एक एक फरियादी तक पहुंचते उनके लिए चाय पानी की व्यवस्था करते और समस्या सुनते, कई बार तो वो दफ्तर के गेट पर मौजूद लोगों की समस्या सुनने पहुँच जाते. जिसके चलते वो प्रयागराज में बेहद लोकप्रिय अधिकारी माने जाते रहे. केपी सिंह फिलहाल आईजी पीएसी, लखनऊ में तैनात हैं । दरअसल 2014 में देश का प्रधानमंत्री बनने के बाद जब पीएम मोदी ने खुद को देश का प्रधान सेवक कहा तो तमाम नेताओं और अधिकारियों में सीधा संदेश गया की लोकतंत्र का निहितार्थ जनता के द्वारा चुनी सरकार का जनता के कल्याण के लिए काम करना ही तो है.।
Source : Manvendra Pratap Singh