प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 16 फरवरी को राजा सुहेलदेव की जयंती (Maharaja Suheldev Birth Anniversary) के मौके पर उनके भव्य स्मारक का बहराइच में वर्चुअल शिलान्यास करेंगे. इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनके साथ राजभर समाज के नेता मौजूद रहेंगे. वहां एक संग्रहालय भी बनेगा, जिसमें महाराजा सुहेलदेव से जुड़ी ऐतिहासिक जानकारियां दर्ज होंगी. इसके अलावा इनकी जयंती के मौके पर सारे प्रदेश में कार्यक्रम आयोजित होंगे. प्रमुख सचिव संस्कृति एवं पर्यटन मुकेश कुमार मेश्राम ने बताया अपने शौर्य के पराक्रम को प्रदर्शित करने वाले कि इतिहास के गर्त में छिपे महानायकों जिन्होंने भारतीय संस्कृति की रक्षा में योगदान दिया, उससे युवा पीढ़ी को अवगत कराना अनिवार्य है. इसी कारण ऐसे कार्यक्रमों का आयोजन हो हो रहा है.
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चौरीचौरा के शताब्दी वर्ष के अर्न्तगत इतिहास में छिपे योद्धाओं को स्थापित करने की कवायद हो रही है. इसी क्रम उस दिन सभी शहीदी स्थलों पर एक पुष्पाजंलि सभा होगी. जिनमें सरकार के मंत्रियों, सांसदों, विधायकों, जनप्रतिनिधियों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और शहीदों के परिवारीजनों के अलावा एनएसएस, एनसीसी, सिविल डिफेंस, स्काउट गाइड, समाजसेवी और स्वयंसेवी संस्थाओं के वालंटियर्स व गणमान्य नागरिकों को आमंत्रित किया जाएगा.
सभी जिलों में शहीद स्थलों व स्मारकों पर पुलिस बैंड राष्ट्रधुन तथा राष्ट्रभक्ति गीतों की धुनें बजाई जाएंगी. इन स्थलों पर शाम 6.30 बजे दीप प्रज्जवलन का कार्यक्रम होगा. बिजली की झालरों और रंगीन प्रकाश से शहीद स्मारकों को प्रकाशमान करने का निर्देश दिया गया है. इसके अलावा शहीद स्मारकों में दीपदान का आयोजन होगा. शिलापट में इतिहास का अंकन भी कराया जाएगा.
इतिहास के जानकारों ने बताया कि वाकया करीब 1000 साल पुराना है. इतिहास को यू टर्न देने वाली यह घटना बहराइच में हुई थी. यह दास्तान है वीरता, स्वाभिमान और राष्ट्रभक्ति की. 15 जून 1033 को श्रावस्ती के राजा सुहेलदेव और आक्रांता सैयद सालार मसूद के बीच बहराइच के चित्तौरा झील के तट पर भयंकर युद्ध हुआ था. इस युद्ध में महाराजा सुहेलदेव की सेना ने सालार मसूद की सेना को गाजर-मूली की तरह काट डाला. राजा सुहेलदेव की तलवार के एक ही वार ने मसूद का काम भी तमाम कर दिया. युद्ध की भयंकरता का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि इसमें मसूद की पूरी सेना का सफाया हो गया. एक पराक्रमी राजा होने के साथ सुहेलदेव संतों को बेहद सम्मान देते थे. वह गोरक्षक और हिंदुत्व के भी रक्षक थे.
इतिहासकारों ने भले ही सुहेलदेव के पराक्रम और उनकी अन्य खूबियों की अनदेखी की हो, पर स्थानीय लोकगीतों की परंपरा में महाराज सुहेलदेव की वीरगाथा लोगों को रोमांचित करती रही. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर पहली बार सुहेलदेव की जयंती पर उनके पराक्रम और राष्ट्रसेवा भाव को असली सम्मान मिलने जा रहा है. 16 फरवरी (बसंत पंचमी) को इस बाबत आयोजित कार्यक्रम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्चुअल रूप से संबोधित करेंगे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बहराइच में मौके पर मौजूद रहेंगे.
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कार्यक्रम के दौरान बहराइच और श्रावस्ती के लिए कुछ बड़ी सौगातों की भी घोषणा हो सकती है. इससे चित्तौरा झील पर स्थित महाराजा सुहेलदेव की कर्मस्थली को अब एक अलग पहचान मिलेगी. इसके पहले भी महाराज सुहेलदेव के सम्मान में भाजपा में डाक टिकट जारी हुआ था. ओर ट्रेन चलाई गई थी. प्रधानमंत्री की मंशा के अनुसार योगी आदित्यनाथ उसीके क्रम को आगे बढ़ा रहे हैं. उस दिन प्रधानमंत्री चित्तौरा झील और महाराज सुहेलदेव के स्मारक के सुंदरीकरण के कार्यकमों का शिलान्यास भी करेंगे. स्मारक स्थल पर सुहेलदेव की भव्य प्रतिमा भी लगेगी.
ज्ञात हो कि बहराइच और उसके आसपास के क्षेत्र ऐतिहासिक और पौराणिक रूप से काफी महत्वपूर्ण रहे हैं. पौराणिक धर्म ग्रंथों के मुताबिक बहराइच को ब्रह्मा ने बसाया था. यहां सप्त ऋषि मंडल का सम्मेलन भी कराया गया था. चित्तौरा झील के तट पर त्रेता युग के मिथिला नरेश महाराजा जनक के गुरु अष्टावक्र ने वहां तपस्या की थी.
Source : IANS