Advertisment

स्कूली बच्चों के पास नहीं हैं किताबें, 11 जिलों के बीएसए को नोटिस 

कक्षा 1 से 8 तक के प्राइमरी स्कूलों को निजी स्कूलों से मुकाबला करने लायक बनाने की प्रदेश सरकार की मंशा पर स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग की लापरवाही पानी फेरती नजर आ रही है.

author-image
Mohit Saxena
एडिट
New Update
up school

Uttar Pradesh School children do not have books( Photo Credit : ani)

Advertisment

कक्षा 1 से 8 तक के प्राइमरी स्कूलों को निजी स्कूलों से मुकाबला करने लायक बनाने की प्रदेश सरकार की मंशा पर स्थानीय स्तर पर शिक्षा विभाग की लापरवाही पानी फेरती नजर आ रही है. स्कूलों का सत्र तो साढ़े चार महीने पहले शुरू हो चुका है लेकिन शासन की ओर से अबतक बच्चों को मुफ्त किताबें देने की व्यवस्था सुनिश्चित नहीं हो पाई है. ऐसे में मात्र 20 से 25 फीसदी बच्चे ही फटी पुरानी किताबों से अपना ज्ञान बढ़ाने को मजबूर हैं, तो बाकी बच्चे बिना किताब के ही स्कूल आ रहे हैं. 

शासन ने इस लापरवाही को लेकर गोरखपुर के बीएसए  Basic Shiksha Adhikari को नोटिस भेजा है और अब तक किताबें मुहैया नहीं कराने का कारण बताने का निर्देश दिया है. गोरखपुर के अलावा ऐसा नोटिस प्रदेश के जिन जिलों के बीएसए को दिया गया है उनमें गोंडा, मथुरा, हाथरस, सीतापुर, लखनऊ, कुशीनगर, संतकबीर नगर, झांसी, बलरामपुर और अमरोहा शामिल हैं.

गोरखपुर में कुछ 2500 परिषदीय स्कूल हैं. इनमें हर वर्ष साढ़े तीन लाख बच्चों की संख्या रहती है. जिनको 25 लाख किताबों का वितरण किया जाता है. प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने वाले अध्यापकों का कहना है कि किताबें नहीं होने की वजह से बच्चों का ना तो होमवर्क हो पा रहा है और ना ही बच्चे सीख पा रहे हैं. सबसे अधिक समस्या अंग्रेजी और गणित के छात्रों को हो रही है. जिनका एक्सरसाइज वर्क नहीं हो पाता है. उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षक संघ के जिला अध्यक्ष राजेश धर दूबे का कहना है कि शासन की मंशा पर सवाल खड़ा करने का काम कुछ लोगों के द्वारा किया जा रहा है और इसका नुकसान बच्चों को हो रहा है.

हालांकि इसके पहले के वर्षों में भी सत्र शुरू होने के एक से दो माह बाद किताबें स्कूलों को मिला करती थी और तब बीआरसी से अध्यापक किताबों को अपने साधन से स्कूलों पर लाया करते थे लेकिन इस बार सीधे शासन से स्कूलों तक किताबें भेजने का टेंडर होने की वजह से यह पूरी प्रक्रिया सुस्त हुई है. जिन जिलों में बीएसए एक्टिव हैं वहां पर तो किताबें काफी हद तक मिल गई है लेकिन जहां पर सरकारी मिशनरी सुस्त पड़ी है वहां पर अभी भी बच्चे फटी पुरानी और बिना किताबों के ही पढ़ने को मजबूर हैं. 

Source : Deepak Shrivastava

Uttar Pradesh notice to BSA of 11 districts notice to BSA Uttar Pradesh School children
Advertisment
Advertisment