उत्तर प्रदेश में शादी ब्याह के दौरान कानून के आदेश का हवाला देकर डीजे जल्दी बंद करने की बात से तो आप भी दो चार हुए ही होंगे. लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद से डीजे की धुन पर थिरकने वालों का रास्ता साफ हो गया है. शीर्ष अदालत ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें प्रदेश के अंदर डीजे बजाने पर पूरी तरह से पाबंदी लगा दी गई थी.
इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने शादी या अन्य समारोहों में डिस्क जॉकी (डीजे) चलाकर आजीविका कमाने वाले पेशेवरों को भी राहत दी है. अदालत ने वैवाहिक सीजन की शुरुआत से ठीक पहले उत्तर प्रदेश सरकार को नियमों के तहत इन लोगों को डीजे चलाने की इजाजत देने का आदेश दिया है.
बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण के मद्दनेजर राज्य में डीजे चलाने पर रोक लगा दी थी. कोर्ट ने कहा था कि डीजे से तेज आवाज में निकलने वाली ध्वनि लोगों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा है, खासकर बच्चों के लिए. हाईकोर्ट ने कहा था कि अगर डीजे न्यूनतम आवाज में भी बजाई जाए, तो भी वह नियम के तहत तय स्वीकृत डेसीबल रेंज से अधिक होती है.
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इसके खिलाफ विकास तोमर और अन्य ने याचिका दाखिल की थी. याचिकाकर्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के बाद से राज्य सरकार उनकी तरफ से शादियों में डीजे बजाने की इजाजत मांगने के आवेदन पर कोई कार्रवाई नहीं कर रहे हैं.
उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को संविधान के अनुच्छेद-16 का उल्लंघन बताते हुए इसके चलते अपने बेरोजगार हो जाने की दुहाई दी. याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा है कि वे शादी सहित अन्य विशेष समारोहों में डीजे सेवा मुहैया कराने केव्यवसाय से जुड़े हुए हैं.
शीर्ष अदालत में जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत शरण की पीठ के सामने याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील एसआर सिंह और वकील दुष्यंत पाराशर ने पक्ष रखा. दोनों ने पीठ से कहा कि 20 अगस्त को हाईकोर्ट ने किसी जनहित याचिका के बजाय एक सामान्य याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया था. उस याचिका में एक खास इलाके के बारे में ही शिकायत की गई थी. पीठ ने यूपी सरकार को याचिकाकर्ताओं के आवेदन पर गौर कर उन्हें डीजे चलाने की इजाजत देने का आदेश दिया. साथ ही मामले की अगली सुनवाई 16 दिसंबर को तय की है.
Source : News Nation Bureau