उत्तर प्रदेश में अब सरकार मदरसों का सर्वे कराने जा रही है। इस सर्वे के जरिये प्रदेश में कितने मदरसे गैर कानूनी ढंग से चलाये जा रहे हैं, कितने मदरसों ने मान्यता नहीं ली है और जिन मदरसों को सरकार मान्यता और अनुदान दे रही है वास्तव में वह कैसे चल रहे हैं. इन तमाम बातों को जोड़ा जाएगा. 10 सितम्बर तक इस सर्वे के लिए टीम गठित की जाएगी, जिसमें संबंधित तहसील के उप जिलाधिकारी, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी और जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल होंगे. यह टीम अपर जिलाधिकारी प्रशासन के निर्देशन में मदरसों का सर्वे करके जिलाधिकारी को रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी. पांच अक्तूबर तक यह सर्वे पूरा किया जाएगा.
10 अक्तूबर तक रिपोर्ट / संकलित डाटा अपर जिलाधिकारी के माध्यम से जिलाधिकारी को पेश किया जाएगा और 25 अक्तूबर तक जिलाधिकारी उपरोक्त डाटा और रिपोर्ट शासन को उपलब्ध करवाएंगे. इस सर्वे में मदरसे की आय के स्रोत, गैर सरकारी संस्था से उसकी संबद्धता के अलावा छात्रों की संख्या, पेयजल, बिजली, शौचालय की व्यवस्था, फर्नीचर, शिक्षकों की संख्या समेत सभी जानकारियां इकट्ठा की जानी हैं. इस सर्वे में जो मदरसे मानकों के मुताबिक मिलेंगे, उनको मान्यता देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यूपी सरकार के पास जो आंकड़े हैं, उनके मुताबिक राज्य में कुल 16461 मदरसे हैं.
इनमें से सिर्फ 560 को ही सरकारी अनुदान मिलता है. उत्तर प्रदेश में भारत-नेपाल सीमा से सटे गोरखपुर, महाराजगंज, सिद्धार्थनगर, बलरामपुर, बहराइच के मदरसों की संदिग्ध भूमिका को लेकर काफी पहले से ही सवाल उठ रहे थे. पिछले कुछ सालों में इन मदरसों की गतिविधियों की रिपोर्ट जब शासन को गयी तो सरकार ने ऐसे मदरसों के खिलाफ एक्शन लेने का प्लान बनाया। माना जा रहा है कि इस सर्वे के जरिये ऐसे मदरसे भी चिन्हित किये जायेंगे और सरकार इनके खिलाफ कार्यवाई कर सकती है. गोरखपुर में 200 से ऊपर ऐसे मदरसे पिछले कुछ सालों में शुरू हुए हैं और चल रहे हैं जिन्होंने अभी तक मान्यता नही ली है. इनमें कई मदरसे ऐसे हैं जो दीनी के साथ दुनियावी तालीम भी अच्छी तरीके से दे रहे हैं लेकिन तमाम ऐसे मदरसे हैं जहां पर बच्चों को क्या पढ़ाया जाता है, किसी को पता नहीं चलता।
Source : Deepak Shrivastava