आने वाले समय में उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के उत्पाद चीन के लिए चुनौती बनेंगे. यह सब होगा प्रदेश की 90 लाख सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम औद्योगिक इकाईयों के जरिए. इन्हीं इकाईयों के जरिए प्रदेश को कई उत्पादों के मैन्यूफैक्च रिंग का हब बनाने का लक्ष्य है. फिर तो देश ही नहीं पूरी दुनिया में ब्रांड यूपी की धूम होगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Yogi adityanath) की अगुआई में इसकी पूरी तैयारियां हो चुकी हैं. एमएसएई (MSME) इकाइयों की अब तक की सबसे बड़ी समस्या पूंजी की कमी रही है. पूंजी की कमी उनके क्षमता विस्तार और तकनीक के जरिए गुणवत्ता के सुधार में सबसे बड़ी बाधा रही है.
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फिलहाल अब ऐसा नहीं है. अभी हाल ही में मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर आयोजित एक कार्यक्रम में 57 हजार उद्यमियों को दो हजार करोड़ रुपये का ऑनलाइन ऋण वितरण किया. एमएसएमई विभाग के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल के अनुसार जून, जुलाई और अगस्त के पहले हफ्ते में भी इसी तरह ऑनलाइन मेगा ऋण वितरण मेले का आयोजन होगा. इसके पहले भी सरकार पीएमजीपी, मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना, एक जिला एक उत्पाद वित्त पोषण योजना, प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, स्टैंडअप स्कीम योजना और स्टार्टअप स्कीम के जरिए उद्यमियों को उदार शर्तो पर ऋण देती रही है. पिछले वित्तीय वर्ष में इन योजनाओं के जरिए एमएसएमई इकाईयों को कुल 67 हजार करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया था.
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मालूम हो कि हाल ही में मुख्यमंत्री ने कहा था कि हमें हर हाल में स्वदेशी को बढ़ावा देना है. चीन से आने वाले उत्पादों को रोकना होगा. इसके लिए एमएसएमई को बढ़ावा दें. प्रदेश सरकार जो भी सामान खरीदती है, उसमें प्राथमिकता प्रदेश की इन इकाईयों के उत्पादों को ही दें. अगर उपलब्धता नहीं है तो दूसरे प्रदेशों की एमएसई इकाईयों से खरीदें. मुख्य सचिव की ओर से इस बाबत निर्देश भेज दें. सरकार पहले ही इन इकाइयों से 25 फीसदी खरीद की अनिवार्यता कर चुकी है. संभव है कि इन इकाईयों को बढ़ावा देने के लिए सरकार खरीद की अनिवार्यता की सीमा को 25 से बढ़ाकर 50 फीसदी तक कर दें.
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ज्ञात हो कि उप्र एमएसएमई इकाईयों की संख्या के मामले में देश में दूसरे नंबर पर है. देश की कुल ऐसी इकाईयों में से करीब 14 फीसदी उप्र में हैं. पांच वषों के दौरान इन इकाईयों से 39़ 25 लाख लोगों को रोजगार मिला है. वर्ष 2018-19 में प्रदेश से जो भी निर्यात हुआ उसमें एमएसएई इकाइयों का योगदान करीब 80 फीसदी (114057 करोड़ रुपये) है. योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही इन इकाईयों की बेहतरी, बेहतर तकनीक के जरिए इनके उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने और बाजार में इनके उत्पादों को प्रतिस्पद्र्घी बनाने के लिए कई उपाय किये गए. कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में लाखों की संख्या में श्रमिकों की घर वापसी हुई है. सरकार ने इनकी दक्षता का जो ब्यौरा तैयार किया है, उसके अनुसार इनमें से कई की दक्षता अपने क्षेत्र में उत्कृष्ट श्रेणी की है. सरकार दक्षता के अनुसार एमएसएमई इकाईयों की बेहतरी के लिए इनका भी योगदान लेगी.
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एमएसएमई के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया, 'उप्र में कुटीर उद्योगों की बेहद संपन्न परंपरा रही है. यही वजह है कि कई जगहों के उत्पाद तो वहां की पहचान हैं. यह पहचान और मुकम्मल हो. बाकी जिलों के उत्पादों की भी ऐसी ही पहचान बने. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यही मंशा है. उसी मंशा के अनुरूप इस क्षेत्र की बेहतरी के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है.'
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