प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जो पूरे भारत को स्वच्छ देखना चाहते हैं और इसी सपने को सच करने के लिए ‘स्वच्छ भारत मिशन’ योजना के तहत पूरे भारत में शौचालय निर्माण के अरबों रुपए दिए गये. लेकिन विभागीय अधिकारी किस तरह पीएम मोदी के सपने को पूरा करने में रुकावट बन रहे हैं इसका उदाहरण यूपी के गाजीपुर जनपद में देखने को मिल सकता है. गाजीपुर के बाराचवर ब्लॉक के भीखम अमहट गांव में शौचालय निर्माण के लिए बजट आया हुआ था, लेकिन ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी ने मिलीभगत कर जिन लोगों ने पहले से अपने घरों में शौचालय बना रखा था उसी शौचालयों की रंगाई कराकर उसपर इज्जत घर लिखवाकर बजट में आए रुपयों का घोटाला कर लिया गया.
इस बात की लिखित शिकायत जब विभागीय अधिकारियों के साथ जिला अधिकारी को किया गया एक जांच टीम बनाई गई. 27 अगस्त को जांच टीम बनाई गई. जिसमें जिला विकलांग कल्याण अधिकारी और सहायक अभियंता नलकूप खंड सेकंड की एक टीम बनाई गई. जिसे 30 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट देने का निर्देश दिया गया. लेकिन एसआईटी टीम बनने के 50 दिन बाद भी कोई जांच टीम जब गांव में नहीं पहुंची तब ग्रामीणों ने एक याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में दाखिल किया जिसमें पूरी बात बताई गई.
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जिस पर नाराज़ होते हुए माननीय उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि जांच अधिकारी 30 दिन के अंदर जांच रिपोर्ट जिलाधिकारी गाजीपुर के समक्ष प्रस्तुत करें तथा जिलाधिकारी गाजीपुर उस पर नियमानुसार कार्रवाई करें.
जांच टीम कुछ दिन पहले गांव पहुंचकर शौचालय में हुए घोटाले की बारीकी से जांच करना शुरू कर दिया है. हालांकि इस दौरान ग्राम प्रधान और सेक्रेटरी के द्वारा वर्गलाने की भी कोशिश की गई. जब इस मामले में जिला अधिकारी गाजीपुर के बालाजी से जानना चाह तो उन्होंने बताया कि इस मामला के जांच की जा रही है रिपोर्ट आते ही उचित कार्रवाई की जाएगी.
Source : News Nation Bureau