उत्तर प्रदेश में पुलिसकर्मियों के लिए अब अपनी सर्विस बुक देखना आसान होने वाला है. सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर तक को वाराणसी पुलिस प्रसासन ही सर्विस बुक दिखाया करेगा. प्रत्येक दिन अल्फाबेटिकल यानी नाम के हिसाब से 200 पुलिसकर्मी बुलाए जाएंगे ताकि इससे कानून-व्यवस्था पर कोई प्रभाव न पड़ सके. पुलिस विभाग इसके लिए एक हेल्प डेस्क का गठन करेगा, जिसके कर्मचारी पुलिसकर्मियों को सर्विस बुक दिखाने सहित उनकी समस्याओं के समाधान के बारे में भी चर्चा करेंगे.
वहीं इस निर्णय को लेकर डीसीपी मुख्यालय प्रमोद कुमार का कहना है कि इससे विवाह से पहले नौकरी मिलने वाले युवा अपने माता-पिता में किसी एक को नॉमिनी बनाते हैं. वहीं शादी होते ही उनकी प्राथमिकता बदल जाती है. पुलिसकर्मी ने कितने दिन अवकाश लिया, कितनी बार दंडित हुआ, करेक्टर पंजिका पर क्या अंकित है, आदि देख भविष्य की रणनीति में बदलाव किया जा सकता है. सर्विस बुक नौकरी का आइना होता है, जिसे देखकर कर्मचारी वक्त मुताबिक जरूरी सूचनाएं अपडेट करा पाएंगे.
कितना फायदेमंद है ये निर्णय
पुलिसकर्मियों के लिए यह निर्णय कई तरह से फायदेमंद है. इस सर्विस बुक की वजह से जरूरत मुताबिक नामिनी बदलवा सकेंगे. केरेक्टर रोल के जरिए पता लग सकेगा कि उनमें किस तरह के सुधार किए जा सकते हैं. इसके अलावा सैलरी में किस वर्ष कितनी वृद्धि हुई इसका मालूम हो सकेगा. साथ ही कितनी बार किस मामले में दिल मिल चुका है इसका भी मालूम हो जाएगा.
नंबर गेम
68 इंस्पेक्टर.
851 सबइंस्पेक्टर.
1302 मुख्य आरक्षी.
3510 आरक्षी.
किसे कहते हैं सर्विस बुक
सर्विस बुक के अंदर नौकरी से जुड़ी गतिविधियों का संग्रह होता है. अभ्यर्थी के चयन संबंधी आदेश, शैक्षिक दस्तावेज, विभिन्न जगहों पर हुई तैनाती का विवरण अलग-अलग पन्नों पर अंकित रहता है. एक से दूसरे जिले में जब तबादला होता है तब सर्विस बुक भी वहां भेज दिया जाता है. जिसे देख अधिकारी एक नजर में कर्मचारी को आक लेते हैं.
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