Varanasi : उत्तर प्रदेश के वाराणसी में इन दिनों गंगा के घाट धंसते चले जा रहे हैं. अधिकतर घाट खोखले हो चुके हैं और ऐसे में घाटों पर बड़ी इमारतों को धंसने का खतरा लगातार मंडरा रहा है. गंगा में पानी कम होने के साथ गंगा घाट भी खोखले होते जा रहे हैं, जिससे गंगा घाट कभी भी गंगा में समा सकते हैं. हालांकि, घाटों के नीचे सीमेंट के बालू रखकर रोकने की कोशिश की जा रही है, जोकि नाकाफी साबित हो रहा है. आखिर क्यों गंगा के घाट के साथ ऐसा हो रहा है कि आइये जानते हैं यहां...
एक तरफ जहां गंगा का जलस्तर तेजी से घट रहा है तो दूसरी तरफ वाराणसी में गंगा के घाट खोखले होते जा रहे हैं, जिससे घाटों का अस्तित्व ही खतरे में पड़ गया है. गंगा के घाट खोखले होने से गंगा घाट पर जो बड़ी-बड़ी इमारतें मनाते हैं उन पर भी खतरा मंडरा रहा है. इसे लेकर बीएचयू, नदी वैज्ञानिक एवं गंगा बेसिन ऑथोरिटी के पूर्व सदस्य प्रो बी डी त्रिपाठी का कहना है कि जिस तरीके से गंगा के घाट खोखले हो रहे हैं उससे बड़ा खतरा है. उनका कहना है कि गंगा में पहले कछुआ सेंचुरी और गंगा में हो रहे कटान के कारण ये स्थिति उत्पन्न हो रही है.
क्या अब गंगा के घाट इतिहास बन जाएंगे, क्योंकि काशी में लगातार घाट में खोखला बनाता जा रहा है. इसके जरिए गंगा के घाट कमजोर होते जा रहे हैं. ऐसे में नदी वैज्ञानिक कहते हैं कि एक तो गंगा में कटान तो दूसरी तरफ गंदा जो इंसान कर रहा है इन सब के लिए यह दोषी है और अगर इसके लिए जल्दी पर्याप्त कदम ना उठाए गए तो आने वाले अंजाम बेहद खराब होंगे.
गंगा घाट पर रहने वाले पंडे बताते हैं कि जिस तरह से गंगा घाट छत्र हैं ऐसे में उन्हें भी बेहद खतरा में रहता है. अगर जल्दी कुछ नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में गंगा घाट का अस्तित्व खतरे में नजर आ रहा है.
Source : News Nation Bureau