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आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे (Vikas Dubey) को यूपी एसटीएफ (STF) में मुठभेड़ में मार गिराया. दो जुलाई को कानपुर के बिकरू गांव में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की हत्या के मुख्य आरोपी विकास दुबे की घटना के आठवे दिन मौत हो गई. इन आठ दिनों में उत्तर प्रदेश की सियासत काफी गर्म रही. उत्तर प्रदेश पुलिस पर लगातार सवाल उठ रहे थे. कानपुर कांड की पूरी कहानी को इन 20 प्वाइंट में समझें.
- दो जुलाई की रात 12 बजे शिवराजपुर, बिल्हौर, चौबेपुर, शिवली थाने के 35 पुलिसकर्मियों ने चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरु गांव निवासी कुख्यात अपराधी विकास दुबे के घर दबिश देने गई थी. विकास के गांव के ही रहने वाले राहुल तिवारी नाम के युवक ने विकास के खिलाफ धमकी और अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया था.
- दो जुलाई को विकास दुबे को पुलिस कार्रवाई के साढ़े पांच घंटे पहले ही इस बात का पता चल जाता है कि 35 पुलिसकर्मी दबिश देने आ रहे हैं.
- विकास ने अपने साथियों को हथियारों के साथ बुलाया और घर के बाहर जेसीबी खड़ा करवा कर रास्ता बंद कर दिया, ताकि पुलिस वाले भाग न पाए.
- पुलिस कार्रवाई से पहले पुलिस विभाग में सक्रिय विकास के भेदियों ने सबस्टेशन फोन कर लाइन टूट जाने की फर्जी सूचना देकर बिकरू गांव की लाइट गुल करा दी.
- रात करीब 1.30 पर विकास की घेराबंदी में उसके गुर्गों ने करीब सौ राउंड फायरिंग की. जवाबी कार्रवाई भी हुई, लेकिन सीओ समेत 8 पुलिसकर्मियों को घेरकर मौत के घाट उतार विकास अपने साथियों के साथ भाग निकला.
- इसके करीब दो घंटे बाद करीब एक दर्जन थानों की पुलिस और सीओ सर्किल की फोर्स में मौजूद 100 से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने बिकरू समेत आसपास के पांच गांवों को घेर लिया. पूरी रात सर्च आपरेशन चला.
- तीन जुलाई की सुबह डीजीपी के निर्देश पर एसटीएफ के तेज तर्रार जवानों की मौजूदगी में पुलिस ने घेराबंदी और तगड़ी की. बिकरू से 10 किलोमीटर दूर हुई मुठभेड़ में विकास दुबे के दो सहयोगी मार गिराए गए. एडीजी लॉ एंड आर्डर और डीजीपी दोपहर 12 बजे के बिकरू गांव पहुंचे. साठ से अधिक पुलिस की टीमें, 1500 से अधिक जवान, क्राइम ब्रांच की कई टीमें अपराधियों की तलाश में जुटी.
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद कानपुर पहुंचे और शहीद के परिजनों को एक एक करोड़ रुपये देने का ऐलान किया. विकास दुबे के लिए मुखबिरी के शक में चौबेपुर थाने के इंस्पेक्टर विनय तिवारी को सस्पेंड कर दिया गया.
- चार जुलाई को पुलिस ने विकास तिवारी के घर पर बुलडोजर चलवा दिया. उसकी लग्जरी कारों को तोड़ दिया गया. पूरी रात सर्च आपरेशन चला. रात में आईजी मोहित अग्रवाल ने कहा कि सूचना थी कि विकास ने अपने घरों की दीवारों में चुनवाकर हथियार छिपाए हैं. इसलिए यह कार्रवाई की जा रही है.
- विकास के घर में तलाशी में तयखाने में पुलिस को विस्फोटक सामग्री और कई हथियार मिले. विकास का नौकर और शार्प शूटर कल्लू शहर से भागने की फिराक में था तभी कल्याणपुर में मुढभेड़ के बाद धर दबोचा.
- छह जुलाई को पुलिस ने कल्लू की पत्नी समेत हमले में मदद करने वाले विकास के साढ़ू समेत तीन लोगों को गिरफ्तार किया. उधर, डीजीपी ने आईजी मोहित अग्रवाल की सिफारिश पर विकास की इनामी राशि ढाई लाख कर दी.
- सात जुलाई को पुलिस ने विकास के 15 साथियों का पोस्टर जारी किया. देर रात पुलिस को हरियाणा के फरीदपुर के एक होटल में विकास दुबे की लोकेशन मिली. पुलिस के पहुंचने से पहले ही विकास वहां से फरार हो गया.
- इस मामले में विनय तिवारी पर कार्रवाई नहीं करने के आरोप में तत्कालीन डीआईजी अनंत देव का एसटीएफ डीआईजी के पद से तबादला कर दिया गया. चौबेपुर थाने के सभी 68 पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया गया.
- आठ जुलाई को सुबह विकास के सबसे करीबी अमर दुबे को पुलिस ने हमीरपुर के पास मुठभेड़ में मार गिराया. वहीं विकास दुबे का एक और साथी 25 हजार के इनामी श्यामू बाजपेई को चौबेपुर पुलिस ने मुठभेड़ के बाद किया गिरफ्तार. विकास दुबे पर इनामी राशि को बढ़ाकर ढ़ाई लाख से पांच लाख रुपये किया गया.
- नौ जुलाई को सुबह कानपुर में विकास का साथी प्रभात और इटावा में प्रवीण एनकाउंटर में मारे गए.
- उज्जैन के महाकाल मंदिर से विकास दुबे गिरफ्तार
- दस जुलाई को यूपी एसपीएफ की टीम विकास दुबे को उज्जैन से लेकर कानपुर आ रही थी. सुबह 7:15 बजे से 7:35 के बीच यूपी एसटीएफ की गाड़ी पलटी जिसमें विकास दुबे मौजूद था.
- विकास दुबे ने पुलिस कर्मियों के हथियार छीन कर उनपर फायरिंग शुरू कर दी.
- यूपी एसटीएफ ने भी जवाबी फायरिंग की और उसे सरेंडर करने को कहा लेकिन वो नहीं माना.
- यूपी एसटीएफ के कमांडो ने सेल्फ डिफेंस में विकास दुबे को मार गिराया. सुबह 7 बजकर 55 मिनट पर विकास दुबे को मृत घोषित किया गया.
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