कानपुर के चौबेपुर पुलिस ने मध्य प्रदेश के ग्वालियर में दो लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. ये दोनों लोग आपराधिक पृष्ठभूमि से जुड़े हुए हैं. अनिल पांडेय और प्रकाश पांडेय दोनों ने मॉस्ट वांटेड शशिकांत पांडेय और शिवम दुबे को अपने घर पर शरण दी थी. दोनों वांछित को छुपाने में मदद की थी. चौबेपुर पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया है. पुलिस ने बताया कि दोनों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई की जा रही है.
Kanpur encounter: Kanpur's Chaubepur Police y'day arrested 2 people with criminal backgrounds - Om Prakash Pandey & Anil Pandey - for helping hide 2 wanted criminals - Shashikant Pandey & Shivam Dubey - at their residences in Gwalior of Madhya Pradesh. Further action being taken.
— ANI UP (@ANINewsUP) July 11, 2020
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वांछितों की तलाश में छापेमारी
कानपुर के कुख्यात गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर हो गया. इसके साथ ही उसका खेल भी खत्म हो गया. आतंक की दुनिया में पिछले 30 साल से इसका नाम चल रहा था. साथ ही जो लोग इसके अपराध से तंग आ चुके थे, वे सभी लोग इस एनकाउंटर को सही ठहरा रहे हैं. लेकिन इसके साथ ही इस एनकाउंटर से जुड़े बहुत सारे सवाल भी उठने लगे हैं. लेकिन पुलिस का ऑपरेशन अभी रुका नहीं है. पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. पुलिस को अभी भी विकास दुबे के 12 साथियों की तलाश है, जिन्होंने इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम दिया था. हालांकि, पुलिस ने विकास सहित 6 लोगों को एनकाउंटर में मार गिराया है, वहीं 3 को गिरफ्तार किया है.
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21 में से 12 फरार
विकास दुबे गैंग के 21 वांटेड की लिस्ट में है. 6 को मार गिराया और तीन को गिरफ्तार कर लिया है. यानि अभी भी 21 में से 12 फरार चल रहा है. अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था (ADG LO) प्रशांत कुमार ने कहा कि बिकरू कांड को अंजाम देने के मामले में 21 अभियुक्तों को नामजद किया गया था जबकि 60 से 70 अन्य अभियुक्त भी पुलिस के राडार पर हैं. जल्द ही फरार चल रहे अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया जाएगा. पुलिस की भूमिका पर भी कई सवाल उठ रहे हैं. पुलिस को अब इन सवालों का जवाब कोर्ट में देना होगा. साबित करना होगा कि उन्होंने ये फायरिंग अपनी जान बचाने के लिए की थी. जाहिर है आने वाले दिनों में पुलिसवालों पर हत्या का मुकदमा चलेगा और मामले की जांच होगी.
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क्या कहती है पुलिस
पुलिस का कहना है कि गैंगस्टर विकास दुबे को एसटीएफ उत्तर प्रदेश लखनऊ टीम द्वारा पुलिस उपाधीक्षक तेजबहादुर सिंह के नेतृत्व में सरकारी गाड़ी से लाया जा रहा था. यात्रा के दौरान कानपुर नगर के सचेण्डी थाना क्षेत्र के कन्हैया लाल अस्पताल के सामने पहुंचे थे कि अचानक गाय-भैंसों का झुंड भागता हुआ रास्ते पर आ गया. लंबी यात्रा से थके ड्राइवर ने इन जानवरों से दुर्घटना को बचाने के लिए अपनी गाड़ी को अचानक मोड़ने की कोशिश की. जिसके बाद ये गाड़ी अनियंत्रित होकर पलट गई. इस गाड़ी में बैठे पुलिस अधिकारियों को गंभीर चोटें आईं. इसी बीच विकास दुबे अचानक हालात का फायदा उठाकर घायल निरीक्षक रमाकांत पचौरी की सरकारी पिस्टल को झटके से खींच लिया और दुर्घटना ग्रस्त सरकारी वाहन से निकलकर कच्चे रास्ते पर भागने लगा. जिसके बाद पुलिस को गोली चलानी पड़ी.