कानपुर हत्याकांड विकास दूबे एनकाउंटर को लेकर यूपी पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है. इस हलफनामे में यूपी पुलिस ने कहा कि एनकाउंटर फर्जी नहीं है. विकास दुबे का मकसद पुलिसवालों को मारकर भाग जाना था. वो सरेंडर के लिए तैयार नहीं था. हलफनामे में कहा गया है कि पुलिस को आत्मरक्षा में गोलियां चलानी पड़ी. इससे पहले भी वो पुलिस पर फायर कर भाग चुका है. हलफनामें में कह गया है कि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस के मुताबिक यूपी पुलिस पहले ही न्यायिक आयोग का गठन हो चुका है , लिहाजा कोर्ट के दख़ल की ज़रूरत नहीं.
वहीं दूसरी ओर कानपुर के बिकरू कांड का एक दिल दहलाने वाला वीडियो सामने आया है. वीडियो में दिखाई देता है कि उस रात विकास दुबे (Vikas Dubey) के साथियों ने किस कदर पुलिस वालों पर कहर बरपाया था. दबिश देने गई टीम पर विकास और उसके साथियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग की थी. वीडियो में साफ तौर पर दिखाई दे रहा है कि विकास और उसके गुर्गे किसी भी हाल में पुलिसकर्मियों की जान लेने पर उतारू थे.
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इस मामले में जो वीडियो सामने आया है उसमें शिवराजपुर के धानाध्यक्ष महेश यादव को गोली लगने के बाद उसके साथ गांव में ही चारपाई पर लिटा देते हैं. वीडियो में महेश यादव के पैर और सीने में गोली लगी दिखाई देती है. इससे पहले इस कांड में कुछ ऑडियो सामने आए हैं. ऑडियो में भी विकास दुबे और उसके साथियों की हैवानियत सामने आ चुकी है.
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2 जुलाई के रात बिकरू गांव में सीओ सहित आठ पुलिसकर्मियों की मौत हो गई थी. इस मामले में मुख्य आरोपी विकास दुबे घटना के बाद फरार हो गया था. देशभर की राजनीति में सुर्खियों में रहे इस कांड को लेकर विपक्षी दलों ने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा था. इस मामले में यूपी एसटीएफ ने विकास के छह पांच गुर्गों को मुठभेड़ में मार गिराया. 10 जुलाई को यूपी एसटीएफ विकास दुबे को उज्जैन से कानपुर ला रही थी. पुलिस की गिरफ्त से भागने के दौरान विकास दुबे को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया.