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कानपुर के बिकरु गांव में 8 पुलिसवालों की हत्या के बाद फरार चल रहे 5 लाख के मोस्टवांटेड विकास दुबे को गुरुवार सुबह उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर से गिरफ्तार कर लिया गया है. यूपी पुलिस की 100 से ज्यादा टीमें विकास दुबे को तलाश रही थीं, लेकिन वह कानपुर से फरीदाबाद और उज्जैन कैसे पहुंचा? सूत्रों मुताबिक, विकास दुबे फर्जी आईडी कार्ड के सहारे एक राज्य से दूसरे राज्य जा रहा था.
- फर्जी आई कार्ड के सहारे घूम रहा था विकास दुबे
- उज्जैन के महाकाल मंदिर में उसने सुरक्षाकर्मियों को पहले अपना नाम शुभम बताया, लेकिन नवीन पाल नाम का आई कार्ड दिखाया.
- बाद में पूछताछ में उसने बताया कि वो ही विकास दुबे है. विकास दुबे ने वीआईपी टिकट जोकि 250 रुपये का आता है वो ख़रीदकर उज्जैन के महाकाल में दर्शन किए.
- गैंगस्टर विकास दुबे को पूछताछ के लिए उज्जैन के पुलिस ट्रेनिग सेंटर में लाया गया था.
- पुलिस ने विकास दुबे से पूछताछ की.
- पुलिस की पूछताछ में विकास दुबे ने बताया कि उसे डर था कि पुलिस उसका एनकाउंटर करने आ रही है, इसलिए उसने फ़ायरिंग की.
- पुलिस के सूत्रों से ही उसको मिली थी रेड की जानकारी.
- यूपी पुलिस के लोग उसके संपर्क में थे
- सूत्रों के मुताबिक, विकास को पुलिस की होने वाली रेड के बारे में काफी पहले से ही जानकारी थी.
- लिहाजा उसने अपने साथियों को बुला लिया था.
- सभी को कहा था कि कुछ खतरा है, इसलिए हथियार लेकर आने के लिए भी कहा था.
- सूत्रों के मुताबिक विकास का कहना है कि आमतौर पर उसके साथी वैसे भी हथियार लेकर ही आते जाते थे, लेकिन घटना के एक दिन पहले ही उसने लोगों को बोल दिया था कि हथियार लेकर आए.
- विकास दुबे ने पुलिस के लूटे हुए हथियारों के बारे में भी बताया है कि हथियार कहा है वो उस जगह को दिखा सकता है.
- पुलिस रिमांड पर लेकर कानपुर में सबूत ढूंढने जाएगी.
- विकास दुबे का था बेहद ख़तरनाक इरादा.
- घटना के बाद विकास दुबे डर गया था. उसे लग गया था कि ये क्या हो गया.
- विकास दुबे का दावा कि गोलियां चलाने के बाद उसे लगा था कि अब वे बुरी तरह फंस गया है.
- उसने अपने सभी साथियों को अलग-अलग भागने के लिए कहा था.
- गांव से निकलते वक्त ज्यादातर साथी जिधर समझ में आया भाग गए.
- हम लोगों को सूचना थी कि पुलिस भोर सुबह आएगी, लेकिन पुलिस रात में ही रेड करने आ गई.
- हमने खाना भी नहीं खाया था, जबकि सबके लिए खाना बन चुका था.
- घटना के अगले दिन मारा गया विकास का मामा जेसीबी मशीन का इंचार्ज था, लेकिन वो जेसीबी नहीं चला रहा था.
- रात में राजू नाम के एक साथी ने जेसीबी मशीन को बीच सड़क में पार्क किया था.
- मामा को अगले दिन पुलिस ने एनकाउंटर में मार दिया था.
- विकास दुबे ने कहा कि चौबेपुर थाना ही नहीं कई थानों में भी उसके मददगार थे. जो तमाम मामलों में उसकी मदद करते थे.
- लॉकडाउन के दौरान चौबेपुर थाने के तमाम पुलिसवालों का मैंने बहुत ख़्याल रखा था
- सबको खाना पीना खिलाना और दूसरी मदद भी करता था.
- विकास दुबे ने शहीद सीओ देवेंद्र मिश्र के बारे में बताया- देवेंद्र मिश्र से मेरी नहीं बनती थी. कई बार वो मुझसे देख लेने की धमकी दे चुके थे. पहले भी बहस हो चुकी थी.
- विनय तिवारी ने भी बताया था कि सीओ तुम्हारे ख़िलाफ़ है.
- लिहाजा मुझे सीओ पर ग़ुस्सा था.
- सीओ को सामने के मकान में मारा गया था।
- मैंने नहीं मारा सीओ को, लेकिन मेरे साथ के आदमियों ने दूसरी तरफ़ के अहाते से कूदकर मामा के मकान के आंगन में मारा था.
- पैर पर भी वार किया था, क्योंकि मुझे पता चला था कि वो बोलता है कि विकास का एक पैर गड़बड़ है. दूसरा भी सही कर दूंगा. सीओ का गला नहीं काटा था, गोली पास से सिर में मारी गई थी, इसलिए आधा चेहरा फट गया था.
Source : News Nation Bureau
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