Demolishing Babri Masjid: 6 दिसंबर 1992 आज से 30 साल पहले वह दिन जो भारत के इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो गया. अयोध्या में बाबरी मस्जिद के पास सुबह-सुबह अचानक से लोगों की भीड़ एकत्रित होने लगी. थोड़ी ही देर में मस्जिद के गुंबद टूटकर गिरने लगे. उत्तर प्रदेश पुलिस चुप चाप बस तमाशा देख रही थी. दोपहर होते होते बाबरी मस्जिद के ध्वंस की खबर आग की तरह पूरे देश के कोने-कोने में फैल गई. उस समय कल्याण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. इस घटना ने पूरे देश को हिला कर रख दिया. बहुत बड़े-बड़े राजनेताओं के नाम इसमें सामने आए, लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती. कल्याण सिंह पर इस मामले में साजिश रचने के आरोप लगे थे और इसके अलावा उन्हें एक दिन की जेल की सजा भी हुई.
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सीएम बनते ही राम मंदिर बनाने का लिया था प्रण
1991 में जब पहली बार भाजपा को उत्तर प्रदेश में सरकार बनाने का मौका मिला तो भाजपा ने कल्याण सिंह को मुख्यमंत्री का चेहरा नियुक्त किया. कल्याण सिंह अपने स्कूल के दिनों से ही आरएसएस से जुड़ गए थे. मुख्यमंत्री बनते ही वह सबसे पहले राम लल्ला के दर्शन करने अयोध्या पहुंचे. अयोध्या पहुंचकर उन्होंने प्रण लिया कि "राम लला आपका मंदिर बनकर रहेगा, चाहे कुछ भी हो". इसके बाद राम जन्म भूमि के आस-पास की ज़मीन को खरीद दिया गया. यह ज़मीन 2.27 एकड़ थी और पास में ही राम चबूतरा बना दिया गया. ये वही जगह थी जहां लाखों की संख्या में कारसेवक छह दिसंबर को एकत्रित हुए थे. सरकार की असली मंशा क्या थी यह सभी को पहले ही साफ होने लग गया था.
मस्जिद विध्वंस की साजिश में सक्रिय भूमिका निभाने के आरोप
सीबीआई द्वारा दाखिल चार्ज शीट में कल्याण सिंह पर बहुत गंभीर आरोप लगे. सीबीआई के अनुसार कल्याण सिंह इस घटना को रोक सकते थे, लेकिन उन्होंने कोशिश भी नहीं की. अयोध्या में दंगे से निपटने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स मौजूद थी लेकिन उन्होंने कारसेवकों को रोकने के लिए अयोध्या में पारामिलिट्री फोर्सेज को मोबलाइज नहीं किया. सीबीआई चार्जशीट के मुताबिक बाबरी विध्वंस के कुछ दिन पहले कल्याण सिंह ने कहा था कि रोक कंस्ट्रक्शन पर लगी है, डिस्ट्रक्शन पर नहीं. कल्याण सिंह ने भी घटना की नैतिक जिम्मेदारी लेने में देर नहीं की. उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.
एक दिन तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे रहे कल्याण सिंह
सुप्रीम कोर्ट ने कल्याण सिंह को 2,000 रुपये का जुर्माना लगाकर, उन्हें एक दिन के लिए तिहाड़ जेल भेज दिया. इसके अलावा इसमें बड़े बड़े नेताओं जैसे लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भर्ती के नाम भी सामने आये. घटना के अगले दिन यानी 7 दिसंबर 1992 को केंद्र की नरसिम्हा राव सरकार ने यूपी की सरकार को बर्खास्त कर दिया. इसके बाद कल्याण सिंह ने 8 दिसंबर को मीडिया से बात करते हुए कहा था कि "बाबरी मस्जिद विध्वंस भगवान की मर्जी थी. मुझे इसका कोई अफसोस नहीं है. कोई दुख नहीं है. कोई पछतावा नहीं है. ये सरकार राममंदिर के नाम पर बनी थी और उसका मकसद पूरा हुआ.
ऐसे में सरकार राममंदिर के नाम पर कुर्बान. राम मंदिर के लिए एक क्या सैकड़ों सत्ता को ठोकर मार सकता हूं. केंद्र कभी भी मुझे गिरफ्तार करवा सकती है, क्योंकि मैं ही हूं, जिसने अपनी पार्टी के बड़े उद्देश्य को पूरा किया है." इसके अलावा भाजपा के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कल्याण सिंह ने कहा था कि "कोर्ट में केस करना है तो करो, जांच आयोग बिठाना है तो बिठाओ, किसी को सजा देनी है तो मुझे दो. बाबरी मस्जिद विध्वंस और यूपी के सीएम पद से हटने के बाद कल्याण सिंह ने हमेशा इसमें अपनी भूमिका स्वीकार की.
Source : Smriti Sharma