Hathras Stampede: सूरज पाल साकार, जिन्हें अब विश्व हरि भोले बाबा के नाम से जाना जाता है. बता दें कि अपनी तैनाती के दौरान सत्संग शुरू किया था. कुछ समय बाद उन्होंने अपनी नौकरी से त्यागपत्र देकर अध्यात्म की ओर रुख किया और पटियाली में अपना आश्रम बनाया. गरीब और वंचित समाज में तेजी से प्रभाव बनाने वाले भोले बाबा के अनुयायियों की संख्या आज लाखों में पहुंच गई है. भोले बाबा के अनुयायी न केवल उत्तर प्रदेश में बल्कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में भी बड़ी संख्या में हैं. बाबा और उनके अनुयायी मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं, जिससे सत्संग की व्यवस्था और आयोजन में कोई बाधा न आए. अनुयायी ही सत्संग की व्यवस्था संभालते हैं और मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं.
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सत्संग के बाद भगदड़ की घटना
सिकंदराराऊ से एटा रोड पर स्थित गांव फुलरई में सत्संग समाप्त होने के बाद एक दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटित हुई. बाबा के काफिले को निकालने के दौरान भीड़ को एक हिस्से में रोकने का प्रयास किया गया, जिससे भगदड़ मच गई. इस भगदड़ में 90 लोगों की मौत होने की खबर है. मृतकों में अधिकांश लोग हाथरस और एटा के रहने वाले थे.
बाबा की सेवा और समर्पण
वहीं भोले बाबा ने अपने जीवन को सेवा और समर्पण के लिए समर्पित कर दिया है. उनकी यात्रा एक साधारण इंसान से एक आध्यात्मिक गुरु बनने की है. बाबा ने अपनी नौकरी छोड़कर सत्संग और सेवा का रास्ता अपनाया और आज वे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने हुए हैं.
अनुयायियों का विश्वास
भोले बाबा के अनुयायियों का विश्वास और समर्पण उनके प्रति अटूट है. बाबा का सत्संग लोगों को आत्मिक शांति और मार्गदर्शन प्रदान करता है. उनके सत्संग में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं और उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हैं.
सुरक्षा और व्यवस्था
हालांकि, हालिया भगदड़ की घटना ने सुरक्षा और व्यवस्था की कमियों को उजागर किया है. ऐसे आयोजनों में बड़ी भीड़ को नियंत्रित करना एक चुनौती होती है. इस घटना ने प्रशासन और आयोजनकर्ताओं को सतर्क रहने और बेहतर व्यवस्थाएं करने की आवश्यकता पर जोर दिया है.
HIGHLIGHTS
- कौन हैं वो संत भोले बाबा?
- जानें संत भोले बाबा के सेवा से संत बनने की यात्रा
- जानें क्यों सत्संग में हुआ दर्दनाक हादसा?
Source : News Nation Bureau