स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती विद्यार्थी जीवन से ही वे राजनैतिक गतिविधियों में सक्रिय रहे. वे 1991 में भाजपा के टिकट पर बदायूं से, 1998 में मछलीशहर और जौनपुर से 1999 में सांसद रहे. वे केंद्र सरकार में गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं. 1984 में राम जन्मभूमि संघर्ष समिति का राष्ट्रीय संयोजक भी बने. 1976 में जेपी आंदोलन में भाग लिया, तीन बार जेल भी गए. अर्द्धकुम्भ और कुम्भ में लोगों के कल्याणार्थ अनेक शिविर लगाते हैं. उन्होंने उपनिषद दर्शन, भक्ति सुधा और पावन-पथ पुस्तकों की रचना भी की थी.
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मुमुक्षु आश्रम की स्थापना 1943 में पूज्य स्वामी शुकदेवानंद द्वारा की गई थी. सबसे पहले यहां संस्कृत विद्यालय बना. इसके बाद 1947 में आश्रम परिसर में दैवी संपत इंटर कॉलेज खोला गया. यह आश्रम 83 वर्ग एकड़ जमीन में फैला है और शिक्षा, दीक्षा का एक प्रमुख केंद्र है. इस आश्रम की स्थापना में शहर के बिशनचंद सेठ, शिवप्रसाद सेठ और शांति प्रसाद अग्रवाल जैसे दर्जनों गणमान्य व्यक्तियों की प्रमुख भूमिका रही है. फिर आश्रम में 1964 में डिग्री कॉलेज की स्थापना की गई.
साल 1985 में स्वामी चिन्मयानंद ने परिसर में बीकॉम की पढ़ाई शुरू करवाई. 1989 में स्वामी इस आश्रम के मुख्य अधिष्ठाता बनाए गए. इससे पहले स्वामी जी हरिद्वार, ऋषिकेश आदि स्थानों को ही देख रहे थे. 1990 में कांची कामकोटि के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती द्वारा शंकर मोक्ष विद्यापीठ की स्थापना कराई गई.
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यह पीठ इंटरमीडिएट सीबीएसई बोर्ड से संचालित है. आज यह जिले का अग्रणी कॉलेज है. 2003 में SS लॉ कॉलेज की स्थापना यहां हुई. इस कॉलेज के अंतर्गत एमकॉम, एमएड, बीएससी बायो, बीबीए तथा बीसीए की पढ़ाई शुरू की गई. मुमुक्षु आश्रम आज नर्सरी से लेकर स्नातकोत्तर तक की पढ़ाई के लिए जाना जाता है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो