यूपी पुलिस का अगला मुखिया कौन होगा? उत्तर प्रदेश की नौकरशाही और सियासी गलियारों में यह सवाल एक बार फिर चर्चा का विषय है. डीजीपी (DGP) ओपी सिंह 31 जनवरी को रिटायर होने जा रहे हैं. डीजीपी को तय करने में यूपीएससी की भूमिका कितनी कारगर होगी यह सवाल इस बार सबसे बड़ा है, और हो भी क्यों ना.... सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद पहली बार उत्तर प्रदेश में डीजीपी की तैनाती सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के आधार पर जो होनी है. क्या है यूपीएससी की भूमिका और सुप्रीम कोर्ट की सिफारिश? किस अफसर की है डीजीपी की कुर्सी पर दावेदारी और क्यों? पेश है स्पेशल रिपोर्ट
31 जनवरी को उत्तर प्रदेश पुलिस के मुखिया ओपी सिंह रिटायर हो रहे हैं. यूपी पुलिस का अगला चीफ कौन होगा? इस बार यह सरकार की मनमर्जी और राजनीतिक समीकरण से नहीं तय होगा. इस बार यूपी का डीजीपी वही बनेगा जिसका यूपीएससी के पैनल में नाम होगा यानि जिन अफसरों को डीजीपी बनाने पर यूपीएससी तैयार होगा सरकार उसी को डीजीपी बना पाएगी. दरअसल ये पहली बार होगा जब सरकार डीजीपी को तय करने में नियम कानून और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के तहत बंधी होगी.
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दरअसल 2006 के प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट ने डीजीपी की तैनाती को लेकर जो निर्देश दिए, यूपी समेत तमाम राज्यों ने उन निर्देशों को दरकिनार कर अपने राजनैतिक वोट बैंक और समीकरण को ध्यान में रखते हुए डीजीपी की तैनाती की. बीते साल पंजाब में डीजीपी की तैनाती को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया गया तो सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2019 में कड़ाई से निर्देशों के पालन करने की हिदायत दी. सुप्रीम कोर्ट ने जारी किए निर्देशों में साफ कहा कि राज्य सरकारें डीजीपी की तैनाती में मनमर्जी नहीं कर सकती हैं. कानून व्यवस्था का मुद्दा भले ही राज्य सरकारों का हो डीजीपी की तैनाती सीनियरिटी और रिटायरमेंट के बाकी वक्त को ध्यान में रखकर की जानी चाहिए.
सरकार किसी भी जूनियर अधिकारी को डीजीपी नहीं बनाएंगी. इतना ही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने कार्यवाहक डीजीपी की परंपरा को भी रोकने का आदेश दिया. सुप्रीम कोर्ट के इस निर्देश के खिलाफ देश के 5 राज्यों पंजाब, केरल, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और बिहार ने अपील की जिसे खारिज कर दिया गया. यानी अब डीजीपी वहीं बनेगा जिसके नामपर संघ लोक सेवा आयोग की मंजूरी होगी. इसके लिए सरकार अपने राज्य में मौजूद डीजी रैंक के अफसरों की लिस्ट भेजेगी, जिसे यूपीएससी स्क्रीनिंग करने के बाद तीन अफसरों के नाम डीजीपी के लिए सुझाएगी.
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यूपीएससी के पास भेजे 7 अधिकारियों के नाम
उत्तर प्रदेश सरकार नए डीजीपी के लिए यूपीएससी के पास 7 अफसरों के नाम भेज चुकी है. यह वह अफसर है जिनके पास रिटायरमेंट के लिए 1 साल से अधिक का वक्त मौजूद है.
एचसी अवस्थी - डीजी विजिलेंस
सुजान वीर सिंह - डीजी ट्रेनिंग
आरपी सिंह.. डीजी - आर्थिक अपराध शाखा
विश्वजीत महापात्रा - डीजी रूल्स एंड मैन्युअल
गोपाल लाल मीणा - डीजी मानवाधिकार
आरके विश्वकर्मा - डीजी भर्ती बोर्ड
आनंद कुमार - डीजी जेल कारागार सुधार
इन नामों के साथ ही 2 आईपीएस अफसर एपी महेश्वरी और अरुण कुमार केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है जिनके नाम पर यूपीएससी विचार कर सकती है. अब अगर डीजीपी की कुर्सी के लिए प्रबल दावेदारों की बात करें तो जिन 3 अफसरों के नाम सबसे आगे है उसमें सबसे पहली दावेदारी उत्तर प्रदेश में ही डीजी विजिलेंस हितेश चंद्र अवस्थी है. हितेश चंद्र अवस्थी बेहद सख्त ईमानदार और स्वच्छ छवि के अफसर माने जाते हैं. लेकिन जानकारों की माने तो यूपी सरकार को नए डीजीपी का चयन जल्द करते हुए किसी ईमानदार औऱ कर्तव्यनिष्ठ आदमी को कुर्सी सौंपनी चाहिए.
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हितेश चंद्र अवस्थी के बाद जिस अफसर को यूपी पुलिस के मुखिया का प्रबल और काबिल दावेदार माना जा रहा है तो वह है डीजी आरपीएफ अरुण कुमार. यूपी में एसटीएफ को गठित कर गैंगस्टर श्री प्रकाश शुक्ला का खात्मा करने वाले अरुण कुमार है. अरुण कुमार उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और अपराध को भली-भांति समझने वाले अफसर के साथ साथ फोर्स के साथ खड़े रहने वाले तेजतर्रार अफसर माने जाते हैं.
तीसरे नंबर पर 1988 बैच के आईपीएस आनंद कुमार है. आनंद कुमार मौजूदा सरकार में ही लंबे समय तक अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था रहे और डीजी पद पर प्रमोट होने के बाद यूपी की जेलों में सुधार और कानून का राज कायम कर रहे हैं. आनंद कुमार मौजूदा हालात में उत्तर प्रदेश में मौजूद सूबे को भलीभांति समझने वाले अकेले तेजतर्रार अफसर हैं.
Source : News Nation Bureau