17 जुलाई को सोनभद्र के उभ्भा गांव में भीषण नरसंहार में 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया था. तब से प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बनारस के अस्पताल में इस कांड में घायल हुए लोगों से मुलाकात की और उसके बाद वे उभ्भा गांव जाने के लिए निकल पड़ीं. प्रशासन ने धारा 144 का हवाला देते हुए प्रियंका गांधी को रोक लिया और प्रदेश की राजनीति गरमा गई.
आखिर क्यों हुआ नरसंहार?
उम्भा गांव में लगभग छह सौ बीघा जमीन आदर्श वेलफेयर सोसायटी के नाम 1955 में की गई. इस जमीन पर आजादी से पहले से ही आदिवासी काबिज थे और खेतीबाड़ी कर रहे थे. गांव के भैया कोल बताते हैं कि इसमें से 112 बीघा जमीन ग्राम प्रधान यज्ञदत्त गुर्जर और उसके परिवार वालों के नाम वर्ष 2017 अक्तूबर में उक्त सोसायटी की ओर से की गई. ग्रामीणों ने इसका विरोध किया. पहले एआरओ राजकुमार और फिर डीएम सोनभद्र कोर्ट में मामला चला, जहां उसे खारिज कर दिया गया. मौजूदा समय में यहां पर एक बीघा जमीन की कीमत लगभग साढ़े तीन से चार लाख रुपए है. इस हिसाब से कुल जमीन की कीमत करीब चार करोड़ रुपए बताई जा रही है. बुधवार को गांव के लोग इस जमीन को लेकर कमिश्नर कोर्ट में अपील करने जा रहे थे. यह बात घोरावल कोतवाल को भी पता था. उसके बाद गांव में पहुंचे यज्ञदत्त और उनके परिवार और साथ में आए अन्य लोग खेत जोतने लगे. विरोध करने पर उन लोगों ने गोलियां चला दीं, जिसमें मौके पर ही सात लोग की मौत हो गई. बाकी तीन ने अस्पताल जाते समय दम तोड़ दिया.
10 की मौत, 19 लोग घायल
स्थानीय ग्रामीणों ने इसका विरोध किया. इसके बाद ग्राम प्रधान पक्ष के लोगों ने स्थानीय ग्रामीणों पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं. इस वारदात में तीन महिलाओं समेत 10 लोगों की मौत हो गई और 19 लोग जख्मी हो गए. ग्राम प्रधान के भतीजों गिरिजेश और विमलेश को गिरफ्तार कर लिया गया था. उन्होंने बताया कि जरूरत पड़ने पर जमीन बेचने वाले आईएएस अधिकारी पर भी कार्रवाई की जाएगी. योगी सरकार ने मारे गये लोगों के परिजन को पांच-पांच लाख रुपये की सहायता का ऐलान किया था.
घरों से नहीं निकल रहे लोग
आस पास के गांव में भी सन्नाटे के अलावा कुछ नहीं है लोग घर से निकलने से भी डर रहे हैं. सोनभद्र में खूनी संघर्ष होने के बाद घोरावल कोतवाली इलाके के सभी गांव सकते में हैं. जिन परिवारों ने अपने मुखिया या अपनी घर की महिलाओं को खोया है उनका रो-रो कर बुरा हाल है.
पूरा गांव गमगीन
आलम ये है की उनके मुंह से आवाज तक बड़ी मुश्किल से निकल रही है. ग्रामीण बता रहे हैं की जब यहाँ जमघट लगना कल सुबह शुरू हुआ तो हमने पुलिस को फोन भी किया पर कोई यहाँ आया ही नहीं. जिन परिवारों ने अपने अपनों को खोया है उनकी चीख पुकार से पूरा गांव गमगीन है.
किसी ने पति तो किसी ने बेटा खोया
किसी ने अपना पिता तो किसी ने भाई तो किसी ने पति को खोया है. उनके लिए ये मान लेना बहुत मुश्किल है कि उनके अपने अब कभी नही आएंगे. चीख-चीख कर सिर्फ न्याय की मांग कर रहे हैं. इस नरसंहार के बाद यहाँ के गांव में सिर्फ और सिर्फ सन्नाटा नजर आ रहा है. दूर-दूर तक कोई गांव का व्यक्ति नजर नहीं आ रहा. कुछ घरों में तो ताले लगे हैं. दहशत और डर का माहौल साफ-साफ देखने को मिल रहा है.
Source : News Nation Bureau