काशी में अस्सी नदी एक समय पर पहचान रही है पर आज वो एक नाम तक सीमित हो चुका है. अब अस्सी नदी के अस्तित्व में लाने की कवायद शुरू की जा रही है क्योंकि वाराणसी के नाम का अस्तित्व ही वरुणा और अस्सी नदी को लेकर वाराणसी है. इसलिए अब इस पहचान को वास्तविक रूप में लाने से पहले इसकी डी पीआर तैयार करने की जिम्मेदारी आईआईटी बीएचयू को दी गई है. वाराणसी की अस्सी नदी के अस्तित्व को बचाने के लिए अब आईआईटी बीएचयू के साथ सरकार काम शुरू कर रही है पर वास्तविक हालत क्या है. आइए हम आपको बताते हैं. काशी में आईआईटी बीएचयू और वीडीए मिलकर असि नदी का अस्तित्व बचाएंगे. इसे लेकर वीडीए और आईआईटी के बीच समझौता पत्र पर हस्ताक्षर हो गया है.
आठ महीने में डीपीआर तैयार होगी. काशी के लिए पौराणिक महत्व रखने वाली असि नदी को विलुप्त होने से बचाने की मुहिम तेज हो गई है. इसके लिए वाराणसी विकास प्राधिकरण अब आईआईटी बीएचयू के साथ मिलकर काम करेगा. असि नदी के पुनरुद्धार से संबंधित डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट आठ महीने में बनेगी.
अस्सी नदी के ऐतिहासिक महत्व, पर्यावरण और जल संरक्षण का काम वीडीए को कराना है. नदी का प्रमुख अंश जल पुनर्जीवन, तटों का विकास, पर्यावरण सुधार, हरित क्षेत्र विकास और जल शुद्धीकरण कराया जाना है. पर इसके उद्गम स्थल के बारे में बीएचयू के धर्म विज्ञान संकाय के डीन बताते है की धार्मिक मान्यताओं के अनुसार तो वरुणा और अस्सी नदी भगवान विष्णु के दोनो पैरो से निकली है और काशी आई है पर अस्सी नदी अब सुख चुकी है और उस पर बेहद अतिक्रमण हो चुका है साथ ही इसका उदगम स्थल प्रयागराज है और वहा भी अब कुछ नही ऐसे में इसे वास्तविक रूप में जीवित करना मुश्किल है.
दूसरी तरफ बीएचयू के धर्म संकाय भी अस्सी नदी अस्तित्व को बचाने के इस मुहिम का स्वागत कर रहे है उनका कहना है की इससे प्राचीन हमारी धरोहर लौटेगी इसके अलावा काशी विद्वत परिषद भी इस योजना का स्वागत कर रहा है उनका भी कहना है की सिर्फ काशी ही नही अस्सी नदी के वापस आने से देश का गौरव लौटेगा.
फिलहाल अगर अभी की बात की जाए तो अस्सी नदी के नाम पर सिर्फ नाला बचा जो ये दर्शाता है की कभी यहां नदी भी बहा करती थी पर आज यहां नाले के अलावा कुछ भी नहीं है. इन मुख्य बिंदुओं के साथ शुरू होगा अस्सी नदी के अस्तित्व को जीवित करने का काम .
पुनरुद्धार के लिए कार्ययोजना बनेगी.
बेसिन का भू-तकनीकी अध्ययन.
बेसिन का भू-भौतिकीय और भू-आकृति विज्ञान अध्ययन.
रिवर फ्रंट की योजना और डिजाइन.
1.12 करोड़ बजट, 4 चरणों में तैयार होगी डीपीआर
प्रारंभिक मूल्यांकन रिपोर्ट और डाटा संग्रह का काम दो महीने में पूरा होगा.
प्रौद्योगिकी समाधान के साथ व्यवहार्यता रिपोर्ट पांच महीने में बनेगी.
मसौदा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट सात महीने में तैयार होगी.
अंतिम विस्तृत परियोजना रिपोर्ट आठ महीने में बन जाएगी.
Source : News Nation Bureau