समाजवादी पार्टी की लड़ाई में मुलायम सिंह यादव और शिवपाल सिंह यादव एक तरफ हैं जबकि दूसरी तरफ मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और रामगोपाल यादव। दोनों की लड़ाई में एक दूसरे के समर्थकों को कुर्सी गंवानी पड़ रही है। शनिवार को तीन वरिष्ठ नेताओं को मुलायम सिंह यादव ने पार्टी से निकाला।
'नेताजी' ने सुबह पहले तो अपने भाई राम गोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिए बाहर का रास्ता दिखाया। तो शाम होते-होते पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और सांसद नरेश अग्रवाल को बाहर निकाल दिया। नंदा रविवार सुबह राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल हुए थे और उसकी अध्यक्षता की थी।
पार्टी से निकाले जाने के बाद नंदा ने कहा, 'जिसकी कोई हैसियत नहीं है वो क्या किसी को निकालेगा? कुछ लोग नेताजी को उहापोह में रख रहे हैं।'
वहीं नरेश अग्रवाल ने भी मुलायम सिंह यादव को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, 'नेताजी ने पार्टी को बनाया, लेकिन ऐसा नहीं की पार्टी में जो नेताजी (मुलायम) कहेंगे वही होगा। लोकतंत्र होता है।'
उन्होंने कहा, 'नेताजी मोदी की तारीफ करना बंद करें, और अपने बेटे की अगर तारीफ करें तो वो ज्यादा अच्छा होगा।'
लखनऊ के जनेश्वर मिश्र पार्क में राम गोपाल यादव ने समाजवादी पार्टी की राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाया था इस अधिवेशन में मुलायम सिंह यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष से हटा कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को कमान दी गई। हालांकि मुलायम सिंह यादव ने इस फैसले को असैंवाधानिक बताया है और 5 जनवरी को जनेश्वर पार्क में राष्ट्रीय अधिवेशन बुलाई है।
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अधिवेशन के दौरान रामगोपाल यादव ने कहा कि मुलायम सिंह पार्टी के सर्वोच्च नेता बने रहेंगे। वहीं, इस अधिवेशन में अमर सिंह को पार्टी से निकाल देने पर भी मुहर लग गई।
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HIGHLIGHTS
- मुलायम सिंह यादव ने सपा उपाध्यक्ष किरणमय नंदा और सांसद नरेश अग्रवाल को पार्टी से निकाला
- अखिलेश द्वारा बुलाये गये राष्ट्रीय अधिवेशन में शामिल होने पर की गई कार्रवाई
- रामगोपाल यादव के खिलाफ रविवार सुबह हुई कार्रवाई, पार्टी से निकाला गया
Source : News Nation Bureau