समाजवादी पार्टी के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के परिवार में कलह है. समाजवादी पार्टी की कमान कई वर्षों से अखिलेश यादव के हाथ मे ंहै. लेकिन मुलायम सिंह यादव की बहू अपर्णा यादव और छोटे भाई शिवपाल यादव की तरफ से चुनौती मिल रही है. 2022 विधानसभा चुनाव के ऐन वक्त अपर्णा यादव ने सपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गई थीं. लेकिन शिवपाल यादव तब परिवार के बड़े-बुजुर्गों के समझाने पर अखिलेश यादव के साथ आ गए थे. लेकिन विधानसभा चुनाव संपन्न होने के कुछ महीने बाद ही चाचा-भतीजे में एक बाऱ फिर मनमुटाव खुलकर सामने आ गया. अब शिवपाल यादव फिर से अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी को पुनर्जीवित करने में लगे हैं. साथ ही उनकी निगाह अब सपा के वोटबैंक यादव जाति पर है.
प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के प्रमुख शिवपाल यादव ने घोषणा की है कि वह सपा के पूर्व सांसद डीपी यादव के साथ 'यदुकुल पुनर्जागरण मिशन' की शुरुआत करेंगे. उन्होंने कहा कि इस मिशन के पीछे का मुख्य कारण 2024 से पहले यादव समुदाय के मतदाताओं तक पहुंचना है. यादवों को आमतौर पर शिवपाल की पूर्व समाजवादी पार्टी का पारंपरिक वोट बैंक माना जाता है.
चूंकि शिवपाल यादव और उनके भतीजे अखिलेश यादव के बीच दरार अब छिपी नहीं है, कई लोग शिवपाल के इस कदम को 2024 में सपा की संभावनाओं में सेंध लगाने का प्रयास मानते हैं. हालांकि, शिवपाल ने इस तरह की अटकलों का खंडन किया है और दावा किया है कि मिशन एक सामाजिक कारण के लिए है, उनके बयान इस विकास के राजनीतिक निहितार्थों को समझने के लिए पर्याप्त हैं. कयास लगाए जा रहे हैं कि यादव समुदाय की यह लामबंदी 2024 में होने वाले चुनाव को देखते हुए की जा रही है.
यादव वोटों की मदद से अब शिवपाल का लक्ष्य एक बार फिर अपनी राजनीति को पुनर्जीवित करना है. शिवपाल को इस मिशन का संरक्षक बनाया गया है और पूर्व कद्दावर सांसद डीपी यादव को इसका अध्यक्ष बनाया गया है. दिलचस्प बात यह है कि डीपी यादव भले ही भारतीय जनता पार्टी में शामिल नहीं हुए हों, लेकिन उनके बेटे सहित उनके परिवार के कई सदस्य पहले ही भगवा दल में शामिल हो चुके हैं.
लखनऊ में गुरुवार को 'यदुकुल पुनर्जागरण मिशन' की घोषणा करते हुए शिवपाल यादव ने कहा कि सामाजिक न्याय की लड़ाई पूरी ताकत से लड़नी होगी. उन्होंने कहा, 'इसमें कोई गलतफहमी नहीं होनी चाहिए कि 'यदुकुल पुनर्जागरण मिशन' सिर्फ यादवों के लिए बनाया गया है न कि यूपी के लिए. हमारे समाज के लोग भी दूसरे राज्यों में हैं और उनके उत्पीड़न के खिलाफ लड़ेंगे.
कुछ दिन पहले डीपी यादव के पिता स्वतंत्रता सेनानी तेजपाल की प्रतिमा के अनावरण समारोह के दौरान शिवपाल यादव और सुखराम यादव समेत प्रदेश के कई दिग्गज यादव नेताओं ने शिरकत की थी. माना जाता है कि इसी बैठक के दौरान यदुकुल पुनर्जागरण मिशन की नींव रखी गई थी और अब शिवपाल यादव ने अपने कंधों पर इसकी पहल की है.
इस बीच यूपी के यादव वोटरों तक शिवपाल यादव की पहुंच को देखते हुए सपा प्रमुख और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी सतर्क हो गए हैं. यही कारण था कि अखिलेश यादव आजमगढ़ जेल में सपा नेता रमाकांत यादव से मिलने पहुंचे थे, फिर नोएडा के गढ़ी चौखंडी गांव में स्थित दिवंगत रघुवर प्रधान की प्रतिमा का अनावरण किया.
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सपा प्रमुख आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यादव समुदाय को नाराजगी का कोई मौका नहीं देना चाहते, क्योंकि न केवल भाजपा, बल्कि उनके चाचा शिवपाल यादव भी अब यादव वोट बैंक पर नजर गड़ाए हुए हैं. उत्तर प्रदेश में करीब 10 फीसदी यादव वोटर हैं जिन्हें राजनीतिक तौर पर काफी अहम माना जाता है.