देश में लॉकडाउन का चौथा चरण लागू हो गया है. इस बीच प्रवासी मजदूरों का घर जाने का सिलसिला भी लगातार जारी है. हाल ही में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ से प्रवासियों को उनके घर पहुंचाने के लिए 1000 बसों को चलाने की अनुमति मांगी थी जिसें योगी सरकार की तरफ से मंजूरी दे दी गई है. लेकिन अब इस मामले पर राजनीति होती हुई नजर आ रही है.
प्रियंका गांधी ने 16 मई पत्र लिखकर बसों को चलाने की इजाजत मांगी थी. 18 मई की शाम को उन्हें मंजूरी दी गई, लेकिन फिर रात 11.40 पर योगी सरकार के नौकरशाह अवनीश अवस्थी ने प्रियंका गांधी को चिट्ठी लिखी कि सुबह 10 बजे तक लखनऊ में बस उपलब्ध कराईं जाएं. चिट्ठी में लिखा गया, समस्त बसों सहित उनका फिटनेस सर्टिफिकेट एंव चालक के ड्राइविंग लाइसेंस के साथ ही परिचालक का विवरण सहित पूर्वांह यानी सुबह 10 बजे वृंदावन योजना में सेक्टर 15-16 में जिलाधिकारी लखनऊ को उपलब्ध कराने का कष्ट करें। जिलाधिकारी लखनऊ को तदानुसार अवगत करा दिया गया है.
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वहीं इस पत्र पर प्रियंका गांधी के निजी सचिव संदीप सिंह ने रात में 2 बजे योगी सरकार को जवाब भेजा है. जवाब में लिखा है कि "आपका पत्र ईमेल से रात के 11.40 बजे मिला, जिसमें सुबह 10 बजे तक बसों को लखनऊ में उपलब्ध कराने को कहा गया है."
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पत्र में कहा गया है कि सरकार की ये मांग राजनीति से प्रेरित लग रही है. प्रवासी मजदूर दिल्ली गाजियाबाद और नोएडा पर मौजूद हैं, ऐसे समय में हजार से ज्यादा खाली बसें लखनऊ भेजना न केवल संसाधन की बर्बादी है बल्कि हद दर्जे की अमानवीयता है. पत्र में कहा गया, माफ कीजिएगा श्री मान, आपकी ये मांग राजनीति से प्रेरित लगती है.
बता दें, प्रियंका गांधी ने रविवार को भी योगी सरकार से उन बसों को राज्य में प्रवेश करने की अनुमति देने का आग्रह किया था. जिसके बाद कांग्रेस की ओर से लगभग 980 बसों में प्रवासी मजदूरों को राजस्थान से यूपी भेजा गया था. मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें राज्य में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी. सभी बसों को राजस्थान और यूपी बॉर्डर पर ही रोक दिया गया था. यूपी की सीमा में बसें को प्रवेश की अनुमति न मिलने के बाद सभी बसों को वापस ले जाया गया था. जिसके उत्तर प्रदेश सरकार ने कहा कि उन्हें कांग्रेस से बसों की सूची नहीं मिली.