उत्तर प्रदेश सरकार ने आयुष प्रवेश घोटाले की सीबीआई जांच की सिफारिश की है. इसकी पुष्टि करते हुए सरकार के एक प्रवक्ता ने कहा: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आदेश के बाद आयुष कॉलेजों में प्रवेश में हुई अनियमितता के मामले की जांच की सिफारिश सीबीआई से की गई है. गौरतलब है कि सत्र 2021-22 के लिए राज्य के आयुष कॉलेजों में 12 प्रतिशत फर्जी प्रवेश के मामले सामने आ रहे हैं. राज्य के विभिन्न सरकारी और निजी आयुष कॉलेजों में 7,338 सीटें हैं, इनमें से 891 पर फर्जी प्रवेश की आशंका है.
मामले की आंतरिक जांच के बाद आयुर्वेदिक सेवाओं के निदेशक प्रो. एस.एन. सिंह ने शनिवार को प्राथमिकी दर्ज कराई थी. विभाग ने अपनी प्राथमिकी में यूपीट्रॉन लिमिटेड, गोमती नगर, उसकी विक्रेता कंपनी सॉफ्ट सॉल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड और कंपनी के प्रतिनिधि कुलदीप सिंह का नाम दर्ज कराया है. इन पर आपराधिक साजिश (धारा 120 बी), बेईमानी (धारा 420), धोखाधड़ी के उद्देश्य से जालसाजी (धारा 468) धोखाधड़ी आदि आरोप लगाए गए हैं.
राज्य सरकार ने मामला सामने आने के बाद चार अधिकारियों को निलंबित कर दिया था. यूपी पुलिस ने मामले की जांच के लिए स्पेशल टास्क फोर्स का गठन किया है. उन्होंने आरोप लगाया कि नामित संगठन/व्यक्तियों को राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (एनईईटी) योग्यता के आधार पर ऑनलाइन परामर्श आयोजित करने के लिए कहा गया था. लेकिन प्रतिनिधि ने कथित तौर पर निदेशालय से प्राप्त आंकड़ों के साथ खिलवाड़ किया, जिसके कारण अयोग्य उम्मीदवारों का प्रवेश हुआ.
एक विभागीय जांच से पता चला कि कई मामलों में योग्यता का पालन नहीं किया गया था. साथ ही कुछ मामलों में चयनित छात्र नीट में शामिल भी नहीं हुए थे. उनका मानना है कि कंपनी ने अपने लोगों को समायोजित करने का प्रयास किया.
Source : IANS