उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर विभिन्न विभागों में खुल रहे भ्रष्टाचार के मामलों में भेदभावपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए रविवार को कहा कि ऐसे प्रकरणों में सम्बन्धित मंत्रियों के खिलाफ कुछ नहीं किया जा रहा है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि सरकार पर संगठित तरीके से लूट करने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में हो रहा भ्रष्टाचार मुख्यमंत्री के संज्ञान में आये बगैर नहीं हो सकता.
उन्होंने कहा कि जिस सरकार में हर परियोजना मंजूरी के लिये कैबिनेट बैठक में भेजी जाती है, उसमें भ्रष्टाचार का आधार बनने वाले इतने बड़े-बड़े फैसले मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाये बगैर कैसे लिये जा सकते हैं. भाजपा के गुड गर्वर्नेंस के नारे की पोल जनता के बीच खुल चुकी है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि बिजलीकर्मियों की भविष्य निधि के घोटाला मामले में निचले स्तर के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई. क्या वे अफसर उस विभाग के मंत्री और प्रमुख सचिव की मर्जी के बगैर कोई घोटाला कर सकते हैं? यह असम्भव है.आखिर इस मामले में बिजली मंत्री श्रीकांत शर्मा के खिलाफ कोई कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है.
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लल्लू ने कहा कि मुख्यमंत्री बतायें कि भ्रष्टाचार के मामले में उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन से जुड़े रहे अधिकारियों आलोक कुमार, संजय अग्रवाल, विशाल चौहान, अपर्णा यू. तथा डीएचएफएल बोर्ड के निदेशक तथा अधिकारियों से पूछताछ और कार्यवाही कब होगी. उन्होंने दावा किया कि पीएफ घोटाले में सीबीआई जांच से मंत्री श्रीकांत शर्मा और तमाम उच्चाधिकारियों की संलिप्तता उजागर होने के डर से सरकार ने सीबीआई जांच की अभी तक सिफारिश नहीं की है. लल्लू ने होमगार्ड वेतन घोटाले का भी जिक्र करते हुए कहा कि इसे छुपाने के लिये कागजात में आग लगा दी गयी. पड़ताल में पता चला है कि एक जिले में दो माह के दौरान होमगार्ड ड्यूटी भुगतान के तौर पर आठ लाख रुपये हड़प लिये गये. इससे समझा जा सकता है कि पूरे प्रदेश में यह सैकड़ों करोड़ रुपयों का घोटाला है.
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उन्होंने कहा कि अपर पुलिस महानिदेशक-होमगाड्र्स जसबीर सिंह ने अक्टूबर 2017 में ही इस घोटाले में कार्यवाही के लिए मुख्य सचिव को पत्र लिखे, मगर कोई कार्यवाही नहीं की गयी. इस मामले में भी होमगार्ड विभाग के तत्कालीन मंत्री अनिल राजभर पर मेहरबानी की जा रही है. लल्लू ने कहा कि पंचायती राज विभाग में चौदहवें वित्त आयोग के परफार्मेन्स ग्रांट में हुए 700 करोड़ रुपये के घोटाले के मामले में दो साल तक चली लम्बी जांच के बाद बड़े जिम्मेदार अधिकारियों के विरूद्व कोई भी मामला दर्ज न कराया जाना सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करता है.