उत्तर प्रदेश में समूह ख और ग की नौकरियों के लिए 5 साल की संविदा के आधार पर भर्ती किए जाने की खबरें सामने आने के बाद सूबे की योगी सरकार पर चौतरफा हमले हो रहे थे. इस दौर में जहां युवाओं के हाथ में रोजगार नहीं है, ऐसे में इस मुद्दे पर सरकार की जमकर आलोचना की जा रही थी. मगर इन सबके बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने बहुत बड़ा बयान दिया है. केशव प्रसाद मौर्य ने इस तरह की खबरों को सिरे से खारिज किया है.
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यूपी में सरकारी नौकरियों में 5 साल तक संविदा पर रखे जाने और 50 साल में रिटायर्ड किए जाने के मुद्दे पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि ये खबर सिर्फ कोरी अफवाह है. उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि सरकारी नौकरियों में संविदा की व्यवस्था को लेकर लोग अफवाह फैला रहे हैं. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि संविदा की जो पूर्व व्यवस्था है, उसमें ना परिवर्तन हुआ है और ना ही होने वाला है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिवस के उपलक्ष्य में मनाए जा रहे सेवा सप्ताह के दौरान शुक्रवार को दिव्यांगों को उपकरण वितरित करने के बाद उप मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार न ही 50 वर्ष से अधिक उम्र के कर्मचारियों को सेवानिवृत्त करने जा रही है और न ही संविदा की व्यवस्था को नए तरीके से लागू करने की योजना है. यह पूछे जाने पर कि जब ऐसी कोई योजना नहीं है तो हंगामा क्यों मचा है, इस पर मौर्य ने कहा, 'विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं और वह इस तरह की चीजों को तुल देने का प्रयास कर रहा है.'
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उल्लेखनीय है कि हाल ही में खबरें आई थीं कि योगी सरकार सरकारी नौकरियों में बड़े बदलाव का विचार कर रही है. उत्तर प्रदेश में समूह ख और ग की नौकरियों के लिए संविदा के आधार पर भर्ती किए जाने के प्रस्ताव पर विचार किया जा रहा है. खबरों में कहा गया था कि उत्तर प्रदेश सरकार के नए प्रस्ताव के अनुसार, प्रदेश में समूह ख और ग की नई भर्तियां अब संविदा के आधार पर होंगी, जिन्हें 5 वर्ष में हुए मूल्यांकन के आधार पर नियमित किया जाएगा.
खबरों में कहा गया था, 'प्रदेश सरकार समूह 'ख' व समूह 'ग' की भर्ती प्रक्रिया में बड़े बदलाव को लेकर मंथन कर रही है। प्रस्तावित व्यवस्था में चयन के बाद शुरुआती पांच वर्ष तक कर्मियों को संविदा के आधार पर नियुक्त किया जाएगा. इस दौरान उन्हें नियमित सरकारी सेवकों को मिलने वाले अनुमन्य सेवा संबंधी लाभ नहीं मिलेंगे. पांच वर्ष की कठिन संविदा सेवा के दौरान जो छंटनी से बच पाएंगे, उन्हें ही मौलिक नियुक्ति मिल सकेगी. इसे लेकर विरोधी दल लगातार सरकार पर हमलावर हैं. यहां तक की बीजेपी की ही कुछ नेता इस मुद्दे पर सरकार के खिलाफ खड़े हो गए.
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