लॉकडाउन (Lockdown) प्रतिबंधों में ढील देने के साथ ही देशभर में शराब की दुकानें खुल चुकी है. हालांकि दुकानों के बाहर लगी लंबी-लंबी लाइनों को देख सरकारें चिंतित हैं. कोविड-19 महामारी के दौरान सामाजिक दूरी सुनिश्चित करने के लिए अब उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार एक और कदम उठाने जा रही है. राज्य सरकार मदिरा के शौकीनों के घर तक शराब (liquor) की डिलीवरी करने पर विचार कर रही है.
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लॉकडाउन के तीसरे चरण में 4 मई से शराब की बिक्री की अनुमति दी गई है. इसको लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई भी हो रही है. बीते दिनों हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी किया और 12 मई तक जवाब मांगा है. लेकिन उससे पहले ही योगी सरकार शराब की होम डिलीवरी की सुविधा देने पर विचार कर रही है. एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में राज्य के आबकारी मंत्री रामनरेश अग्निहोत्री ने कहा कि यूपी में होम डिलीवरी की व्यवस्था पर विचार किया जा सकता है. मगर पहले हम दूसरे राज्यों में शुरू की गई इस व्यवस्था का अध्ययन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि अन्य राज्यों में शराब की ऑनलाइन बिक्री के परीक्षण के बाद उत्तर प्रदेश में होम डिलीवरी को लेकर फैसला लिया जाएगा.
आपको यह भी बता दें कि बीते दिनों बीजेपी नेताओं ने अपनी ही सरकार पर शराब बिक्री को लेकर सवाल खड़े किए थे. सांसद सत्यदेव पचौरी और साक्षी महाराज के बाद भाजपा विधायक ने शराब की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी. बीजेपी सांसद सत्यदेव पचौरी और साक्षी महाराज ने बंद के दौरान शराब की बिक्री पर आपत्ति जताई थी और कहा था कि इससे महामारी को रोकने के लिए किए जा रहे प्रयासों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा.
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वहीं बलिया से विधायक सुरेंद्र सिंह ने कहा था कि शराब की बिक्री के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखना एक असंभव काम था और जब कोरोना संकट खत्म नहीं हुआ है तो शराब की दुकानों को लॉकडाउन के दौरान नहीं खोला जाना चाहिए था. उन्होंने कहा था, 'सरकार राजस्व संग्रह के लिए अन्य स्रोतों के बारे में सोच सकती है और शराब की बिक्री उनमें से एक नहीं होनी चाहिए. शराब की बिक्री न केवल व्यक्तियों के स्वास्थ्य, बल्कि समाज के स्वास्थ्य को भी खतरे में डालेगी.'
गौरतलब है कि लॉकडाउन में ढील के बाद जैसे ही शराब की दुकानें खुलने लगीं तो खरीदारों की कई किलोमीटर तक लंबी-लंबी लाइनें लग गई थी. कोरोना काल में शराब की दुकानों के बाहर जमकर सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन किया गया. शराब के लिए लोगों में मारा-मारी देखने को मिली. जो केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकारों के लिए भी काफी चिंताजनक थी.
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