उत्तराखंड की स्थापना के 20वर्ष सोमवार को पूरे हो गए और इस अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने महिला सशक्तीकरण, किसानों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने और पूरे राज्य के विकास के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों की जानकारी दी.
राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर यहां पुलिस लाइन में आयोजित एक कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘किसी राज्य की विकास यात्रा में 21 वर्ष का समय बहुत लंबा नहीं होता लेकिन चीजों का जायजा लेने या यह निर्णय लेने के लिए कि हम सही दिशा में जा रहे हैं या नहीं, यह बहुत छोटा वक्त भी नहीं है . जब मैं पीछे देखता हूं, तो मैं कह सकता हूं कि उत्तराखंड में हाल के वर्षों में विकास ने निश्चित रूप से गति पकडी है.’’ नौ नवंबर 2000 को उत्तर प्रदेश से अलग होकर उत्तराखंड एक नया राज्य बना था.
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महिलाओं को राज्य की ग्रामीण अर्थ व्यवस्था की रीढ बताते हुए रावत ने कहा, ‘‘प्रदेश में 30,000 स्वयं सहायता समूह हैं जिनमें से 18,000 सक्रिय हैं . हम इन समूहों और ग्रामीण विकास केन्द्रों के जरिए महिलाओं को पांच लाख रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण दे रहे हैं.’’
उन्होंने कहा,‘‘ इसी प्रकार, हम किसानों को भी एक लाख से तीन लाख रुपए तक ब्याज मुक्त ऋण देंगे .’’ महिला उद्यमी प्रेमा भंडारी का उदाहरण देते हुए रावत ने कहा कि केवल 500 रुपए से उन्होंने मशरूम की खेती शुरू की थी और आज वह 30,000 रुपए से लेकर 40,000 रुपए प्रतिमाह तक की आय अर्जित कर रही हैं .
मुख्यमंत्री ने कोविड-19 के कारण अन्य राज्यों से घर लौटे लोगों के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना और सौर स्वरोजगार योजना के बारे में जानकारी दी. इस मौके पर अलग से एक वीडियो संदेश में मुख्यमंत्री ने भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी सरकार की कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति का जिक्र करते हुए कहा कि इसने सत्ता के गलियारों को भ्रष्ट और माफिया तत्वों से मुक्त कर दिया है .
उन्होंने कहा कि केदारनाथ मंदिर के पास नयी केदारपुरी का निर्माण उत्तराखंड की जनता के सामर्थ्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दूरदृष्टि का परिचायक है . रावत ने कहा कि उनकी सरकार ने उत्तराखंड के लिए संघर्ष करने वाले आंदोलनकारियों की आकांक्षाओं के अनुरूप गैरसैंण को राज्य की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किए है .
Source : Bhasha