उत्तराखंड को देवभूमि के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि पौराणिक कथाओं के अनुसार यहां कई महान ऋषियों का जन्म हुआ और कई देवी-देवाताओं का निवास स्थल रहा है. वहीं, इन दिनों देवभूमि में जल संकट गहराता जा रहा है. गंगा-यमुना जैसी नदियों के उद्गम स्थल पर भीषण जल संकट आ चुका है. प्रदेश के 477 जल स्त्रोत सूखने के कगार पर है. नदियों में पानी का स्तर कम होता जा रहा है. मई महीने में प्रदेश में 21 फीसदी बारिश कम दर्ज की गई. जून महीने में भी सूखे जैसे हालात हैं. 288 जलस्त्रोंतों का पानी 50 फीसदी और 47 जल स्त्रोतों में पानी 75 फीसदी तक कम हो चुका है. इन सबके बीच उत्तराखंड में जल संस्थान 62 ट्यूबवेलों को बारिश के पानी से रिचार्ज करने की योजना बना रही है.
62 ट्यूबवेलों को किया जाएगा रिचार्ज
जल संस्थान ने रेट वाटर हार्वेस्टिंग के जरिए प्रदेश के 62 सूख रहे ट्यूबवेलों को रिचार्ज करेगा. इसके लिए ट्यूबवेलों के सामने एक गड्ढा खोदा जाएगा और उसमें एक पाइप डाला जाएगा. सभी पाइप के ऊपर फिल्टर बेड लगेगा, जिसके जरिए बारिश का पानी छनकर अंदर प्रवेश करेगा और इस तरह से बारिश का पानी जमा किया जाएगा. इस योजना के तहत 1.18 करोड़ रुपये की अनुमित मिल चुकी है.
आपको बता दें कि एक रिपोर्ट के अनुसार 2019 तक भारत के करीब 65 फीसदी जलाशय सूख चुके हैं. बढ़ती जनसंख्या और जल संकट को देखते हुए सरकार लगातार रेनवॉटर हार्वेस्टिंग की तरफ काम कर रही है.
क्या होता है रेनवॉटर हार्वेस्टिंग?
बारिश के पानी को जमा करने को रेनवॉटर हार्वेस्टिंग कहा जाता है. बाद में इस पानी को फिल्टर करके या डायरेक्ट इस्तेमाल किया जाता है ताकि जल सकंट से निपटा जा सके. सरकार इसके लिए मनरेगा मजदूरों से भी तालाब की खुदाई करवाता है ताकि बारिश के दिनों में उसमें पानी को संरक्षित किया जा सके और जल संकट से निपटने में मदद मिल सके.
HIGHLIGHTS
- उत्तराखंड में जल संकट की स्थिति
- 477 जल स्त्रोत सूखने के कगार पर
- 62 ट्यूबवेलों को किया जाएगा रिचार्ज
Source : News Nation Bureau