25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर शहर में जन्में अटल बिहारी वाजपेयी को देश का सबसे सफल प्रधानमंत्री माना जाता है. अपने राजनैतिक सफर के दौरान वह 3 बार भारत के प्रधानमंत्री रहे. इस साल 16 अगस्त को दिल्ली स्थित एम्स में उनहोंने अपनी आखिरी सांस ली थी. वाजपेयी लोकप्रिय कवि होने के साथ एक कुशल प्रशासक भी थे. आर्थिक मोर्चे पर उन्होंने देश के लिए कई ऐसे कमद उठाए जिससे देश की दशा और दिशा बदल गई.
आपको बता दें दशकों की लंबी मांग के बाद अगर 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड देश के मानचित्र पर अलग राज्य के रूप में वजूद में आया, तो इसमें सबसे निर्णायक भूमिका अटल जी की ही थी. राज्य गठन के अलावा प्रधानमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल में वाजपेयी ने उत्तराखंड को विशेष औद्योगिक पैकेज और विशेष राज्य के दर्जे से भी नवाजा. वाजेपेयी के निधन की खबर से देवभूमि उत्तराखंड के बाशिंदे में शोक की लहर छा गई थी. दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी का उत्तराखंड से विशेष लगाव था.
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अटल बिहारी वाजपेयी को पहाड़ों की रानी मसूरी बहुत पसंद थी. जब भी अवसर मिलता, वह मसूरी आते और पहाड़ी की शांत वादियों में समय गुजारते थे. वहीं देहरादून में उनके गहरे पारिवारिक मित्र नरेंद्र स्वरूप मित्तल रहते थे और जब भी वाजपेयी देहरादून आते, उनके पास खास समय निकालकर मिलने जाते थे. आज भी मित्तल परिवार के पास तस्वीरों के रूप में उनकी यादें कैद हैं. स्व. नरेंद्र स्वरूप मित्तल के पुत्र भाजपा नेता पुनीत मित्तल बताते हैं कि वे बचपन से ही अटल जी को घर आते हुए देखते रहे हैं अटल जी जब भी देहरादून आते थे, उन्हीं के घर रुकते थे.
दून की सड़कों पर स्कूटर पर घूमा करते थे वाजपेयी
सरल व्यक्तित्व और ओजस्वी कंठ वाले अटल जी ऐसे थे कि अपने सामान का छोटा सा ब्रीफकेस भी खुद उठाते थे. वे ट्रेन से आते-जाते थे. उनके ब्रीफकेस में एक धोती-कुर्ता, अंतर्वस्त्र, एक रुमाल और एक टूथब्रश होता था. जमीन से जुड़े हुए अटल जी दून की सड़कों पर नरेंद्र स्वरूप मित्तल के साथ 1975 मॉडल के स्कूटर पर सैर करते थे.
Video: उत्तराखंड के इस शहर में हर साल आते थे अटल बिहारी वाजपेयी
Source : News Nation Bureau