बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक शहर के रूप में विकसित किया जाएगा. इसी के साथ यहां पर व्यास गुफा, गणेश गुफा व चरण पादुका आदि का भी पुनर्विकास किया जाना है. यहां विकास कार्यों के लिए 100 करोड़ की विभिन्न परियोजनाएं शुरू करने का प्रस्ताव है. गुरुवार को राज्य सरकार व केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय के बीच इसको लेकर एक समझौता हुआ. बद्रीनाथ धाम मेंआगामी 100 वर्षों की आवश्यकताओं के मद्देनजर सुविधाओं का विकास कुल 85 हेक्टेयर भूमि में चरणबद्ध तरीके से कार्य किये जाने हैं. इसी को देखते हुए यहां यात्रियों के लिए सुविधाएं बढ़ाने के विशेष प्रयास किये जा रहे हैं.
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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत व केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की मौजूदगी में केदारनाथ उत्थान ट्रस्ट और तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय की पब्लिक सेक्टर कंपनियों के मध्य यह समझौता हुआ. इसके तहत लगभग 100 करोड़ के कार्यों के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए हैं. समझौता पत्र पर पेट्रोलियम मंत्रालय की ओर से सचिव तन्नू कपूर व उत्तराखंड की ओर से पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर ने हस्ताक्षर किए.
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वर्चुअल रूप से आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा व मार्गदर्शन में वर्ष 2013 में आई आपदा के बाद पुनर्निर्माण के कार्य शुरू हुए थे जो कि अब अपने अंतिम चरणों में हैं. इसी कड़ी में प्रधानमंत्री ने बदरीनाथ धाम के कायाकल्प का भी निर्णय लिया. मुख्यमंत्री ने कहा कि बदरीनाथ धाम के विकास में तेल कंपनियों का योगदान सराहनीय है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार का फोकस क्षेत्र में होमस्टे को बढ़ावा देने पर है ताकि श्रद्धालुओं को यहां आने पर सस्ती सुविधाएं उपलब्ध हो सकें. मुख्यमंत्री ने कहा कि आगामी तीन वर्षों में बदरीनाथ धाम के कायाकल्प के लिए सरकार प्रतिबद्ध है.
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इस अवसर पर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उत्तराखण्ड के चार धामों का विशेष महत्व है. बदरीनाथ धाम के कायाकल्प को लेकर तेल कंपनियां प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में बदरीनाथ व केदारनाथ धामों की भांति ही उत्तरकाशी में गंगोत्री व यमनोत्री धामों के लिए भी कुछ कार्य कराए जाएंगे. उन्होंने कहा कि बदरीनाथ धाम को प्रधानमंत्री मोदी के विजन के अनुरूप स्मार्ट आध्यात्मिक शहर के रूप में विकसित किया जाएगा. उन्होंने कहा कि यहां पर अलकनंदा नदी के तटबंध कार्यों के अलावा प्लाजा, जल निकासी, सीवेज, लाइट, सीसीटीवी, पीए सिस्टम, शौचालय, पुल आदि के सौंदर्यीकरण व पुनर्निर्माण के कार्य होने प्रस्तावित हैं.
प्रदेश के पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि श्री बदरीनाथ धाम का धार्मिक के साथ ही आर्थिक महत्व भी है. यहां से हजारों लोगों को रोजगार भी मिलता है. उन्होंने कहा कि पुनर्निर्माण कार्यो के दौरान हमें इस बात का भी ध्यान रखना है कि यहां पर पर्यावरण को नुकसान न पहुँचे. प्रथम चरण में यहां पर अस्पताल के विस्तारीकरण का कार्य प्रस्तावित है. इसके अलावा रिवर फ्रंट डेवलपमेंट, तटबंधों में सु²ढ़ीकरण, लैंड सकेपिंग, भीड़ होने पर होल्डिंग एरिया, पुलों की रेट्रोफिटिंग आदि कार्य होने हैं.
HIGHLIGHTS
- बद्रीनाथ धाम को स्मार्ट आध्यात्मिक शहर के रूप में विकसित किया जाएगा
- व्यास गुफा, गणेश गुफा और चरण पादुका का भी पुनर्विकास किया जाना है
- विकास कार्यों के लिए 100 करोड़ की विभिन्न परियोजनाएं शुरू करने का प्रस्ताव है