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उत्तराखंड: अब भी 200 जिंदगियां दांव पर, सेना ने चिनूक को उतार झोंकी पूरी ताकत

Chamoli Accident: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद कई एजेंसियां सर्च ऑपरेशन चला रही हैं. इस हादसे में तकरीबन 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 18 लाशें बरामद कर ली गई हैं.

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Deepak Pandey
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सेना ने चिनूक को उतार झोंकी पूरी ताकत( Photo Credit : ANI)

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Chamoli Accident: उत्तराखंड के चमोली जिले में रविवार को ग्लेशियर टूटने से मची तबाही के बाद कई एजेंसियां सर्च ऑपरेशन चला रही हैं. इस हादसे में तकरीबन 200 लोग लापता बताए जा रहे हैं, जबकि 18 लाशें बरामद कर ली गई हैं. इस तबाही से वहां चल रहे ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और एनटीपीसी प्रोजेक्ट को काफी नुकसान पहुंचा है और दोनों क्षतिग्रस्त हो गए हैं. वहीं, सेना ने लापता लोगों को ढूंढने के लिए अपने ताकतवर हेलीकॉप्टरों को उतार दिया है. सोमवार दोपहर को एमआई-17 और चिनूक हेलीकॉप्टर के दूसरे बेड़े को देहरादून से जोशीमठ के लिए रवाना कर दिया गया. ये हेलीकॉप्टर चल रहे रेस्क्यू ऑपरेशन में टीम की मदद करेंगे और लोगों को जिंदा बचाने का प्रयास करेंगे. इंडियन आर्मी ने बताया कि भारतीय वायुसेना कमांडर जारी ऑपरेशन के लिए राज्य प्रशासन से कॉर्डिनेट कर रहे हैं।  

ऋषिगंगा घाटी के रैणी क्षेत्र में ग्लेशियर टूटने से ऋषिगंगा और धौलीगंगा नदियों में अचानक आई बाढ़ ने पहाड़ी क्षेत्र में काफी तबाही मचाई है, जिससे कई लोग लापता हो गए, जिन्हें ढूंढने का प्रयास किया जा रहा है. रेस्क्यू के दौरान प्रशासन और एजेंसियों को एक के बाद एक शव मिल रहे हैं. करीब 200 जिंदगियां दांव पर हैं और बीतते हर मिनट के साथ उनके बचने की उम्मीद कम होती जा रही है. 

हालांकि, इन सबके बावजूद सेना, आईटीबीपी और राज्य प्रशासन लगातार सर्च ऑपरेशन करके लोगों को शीघ्र सकुशल निकालने में लगा है. उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि हमने अब तक 18 शव बरामद किए गए हैं और लापता लोगों की संख्या 202 है. टनल में हमने 80 मीटर तक मलबा हटा दिया है, आगे हमारी मशीनें लगी हुई हैं और हमें शाम तक कुछ सफलता मिलने की उम्मीद है.

जानें कैसे हैं सेना के चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर्स

उत्तराखंड में लोगों की जान बचाने के लिए सेना की ओर से रेस्क्यू ऑपरेशन में उतारे गए चिनूक और एमआई-17 हेलीकॉप्टर्स काफी ताकतवर होते हैं. चिनूक बहुउद्देश्यीय हेलीकॉप्टर है, जिसका प्रयोग दुर्गम और ज्यादा ऊंचाई वाले स्थानों पर जवानों, हथियारों, मशीनों तथा अन्य प्रकार की रक्षा सामग्री को ले जाने में किया जाता है. ये हेलीकॉप्टर 20 हजार फीट की ऊंचाई तक उड़ान भर सकते हैं और दस टन तक का वजन ले जा सकते हैं. 

बोइंग कंपनी चिनूक का निर्माण करती है. हालांकि, 1962 से ये प्रचलन में हैं, लेकिन समय-समय पर इनमें बोइंग ने सुधार किया है, इसलिए आज भी करीब 25 देशों की सेनाएं चिनूक का इस्तेमाल करती हैं. पूर्वी लद्दाख में चीन से चल रहे विवाद के दौरान भी इन हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल किया जा रहा है. वहीं, एमआई-17 हेलीकॉप्टर की बात करें तो यह काफी एडवांस्ड हेलीकॉप्टर है. इसका ज्यादातर इस्तेमाल ट्विन टर्बाइन ट्रांसपोर्ट हेलीकॉप्टर के साथ-साथ युद्ध में जवानों को मदद पहुंचाने के लिए किया जाता है.

HIGHLIGHTS

  • चमोली जिले में ग्लेशियर टूटने से मची तबाही
  • हादसे में तकरीबन 200 लोग लापता
  • अब तक 18 लाशें बरामद कर ली गईं

Source : News Nation Bureau

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