Kedarnath Dham: केदारनाथ धाम के लिए पैदल मार्ग को हाल ही में आवाजाही के लिए खोल दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद कई स्थानों पर डेंजर जोन उभर आए हैं. क्षेत्र में लगातार हो रही भारी बारिश के कारण इन डेंजर जोन में दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है. विशेष रूप से शुक्रवार रात को हुई भारी बारिश से हालात और चिंताजनक हो गए हैं.
तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को प्राथमिकता
आपको बता दें कि रविवार को भी मौसम और मार्ग की स्थिति को देखते हुए यात्रियों को सोनप्रयाग से आगे जाने की अनुमति नहीं दी गई. प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा को सर्वोपरि रखते हुए उन्हें रुकने की सलाह दी है. हालांकि, स्थानीय निवासियों और व्यापारियों को आवाजाही की अनुमति दी जा रही है. इसी क्रम में शनिवार को भी किसी भी तीर्थयात्री को केदारनाथ धाम के लिए पैदल मार्ग से आगे जाने की इजाजत नहीं दी गई. करीब 50 से अधिक तीर्थयात्रियों ने सोनप्रयाग से धाम के लिए जाने की इच्छा जताई, लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें वहीं रोक दिया गया.
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हेली सेवा बनी यात्रा का विकल्प
वहीं भारी बारिश और जोखिम भरे मार्ग की वजह से प्रशासन ने हेली सेवा को यात्रा का विकल्प बना रखा है. हेली सेवा के माध्यम से ही यात्रियों को धाम तक पहुंचाया जा रहा है, जिससे यात्रा सुरक्षित और सुगम बनी रहे। इस सेवा से वे यात्री धाम पहुंच रहे हैं जो मौसम के कारण पैदल यात्रा नहीं कर पा रहे हैं.
मरम्मत के बाद पैदल मार्ग फिर से चालू
इसके अलावा आपको बता दें कि गौरीकुंड-केदारनाथ पैदल मार्ग, जो आपदा में ध्वस्त हो गया था, की मरम्मत के बाद शुक्रवार को पुनः यात्रियों के लिए खोल दिया गया. हालांकि, मार्ग अभी भी पूरी तरह से चौड़ा नहीं किया जा सका है और इसे फिलहाल एक से डेढ़ मीटर तक ही चौड़ा किया गया है. इसके चलते कई स्थानों पर जोखिम बना हुआ है.
दुर्घटना की संभावना वाले क्षेत्र
साथ ही आपको बता दें कि गौरीकुंड से सोनप्रयाग के बीच पैदल आवाजाही पहले ही बहाल कर दी गई थी, लेकिन केदारघाटी में लगातार हो रही बारिश ने मार्ग को अस्थिर कर दिया है. विशेष रूप से जंगलचट्टी के पास गदेरा उफान पर है, जिसे पार करना बेहद खतरनाक हो गया है. ऐसे में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पुलिस और प्रशासन ने यात्रियों को सोनप्रयाग से आगे नहीं जाने दिया.
वैकल्पिक दर्शनीय स्थल
बहरहाल, रोक दिए गए यात्रियों को प्रशासन ने त्रियुगीनारायण और कालीमठ मंदिर के दर्शन करने की सलाह दी है, ताकि उनकी यात्रा में कोई बाधा न आए. इन वैकल्पिक स्थलों पर जाने से न केवल उन्हें धार्मिक संतोष मिलेगा, बल्कि वे सुरक्षित भी रहेंगे.