दिल्ली में केदारनाथ धाम के प्रतिकात्मक मंदिर निर्माण से पूरी केदारघाटी से लेकर जिले की जनता में आक्रोश फैल गया है. जहां केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने प्रदर्शन कर अपना गुस्सा जाहिर किया. इसके अलावा मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भी सरकार को चेतावनी दी है. दिल्ली के बुराड़ी में बन रहे केदारनाथ धाम के प्रतिकात्मक मंदिर निर्माण का तेजी से विरोध होने लगा है. तीर्थ पुरोहित समाज से लेकर केदारघाटी के व्यापारियों एवं स्थानीय जनता ने सरकार के खिलाफ जगह-जगह प्रदर्शन करना शुरू कर दिया है.
शनिवार को केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहित समाज, व्यापारी एवं स्थानीय लोगाें ने दिल्ली में बनाये जा रहे केदारनाथ मंदिर निर्माण के विरोध में धरना-प्रदर्शन किया. इस दौरान तीर्थ पुरोहितों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी भी की. केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि केदारनाथ धाम साक्षात हिमालय में बसा हुआ है. इसका अपना महत्व है. इसके बावजूद दिल्ली में जाकर केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास करना धर्म के लिए अहित है. केदारनाथ मंदिर की महता और अखण्डता बनी रहनी चाहिए. इसकी धार्मिकता को खराब नहीं किया जाना चाहिए.
जहां एक ओर केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों, व्यापारियों एवं स्थानीय लोगों ने प्रदेश सरकार के खिलाफ धरना-प्रदर्शन किया. एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रेम गोस्वामी ने कहा कि दिल्ली में भगवान केदारनाथ के प्रतीकात्मक मन्दिर निर्माण से केदारघाटी की जनता आक्रोश बना हुआ है. धामी सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया है. सरकार केदारघाटी के जनमानस की आस्था के साथ खिलवाड़ कर रही है. इधर, मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भी केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि बाबा केदार के नाम से हम सभी की पहचान है और आज इसी पहचान को खत्म करने की साजिश हो रही है. इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. इसका कड़ा विरोध किया जाएगा.
मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष महावीर पंवार ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है. केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, यहां भगवान शंकर ग्यारहवें ज्योतिलिंग के रूप में पूजे जाते हैं. दिल्ली में बन रहा मंदिर सिर्फ प्रतिकात्मक है. इससे सनातन धर्म का प्रचार प्रसार तेजी के साथ होगा. उन्होंने कहा कि बाबा केदारनाथ धाम की काॅपी करना मुश्किल है. वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत और तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुम्बई के बसई में बद्रीनाथ मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया था, लेकिन उस समय भाजपा ने इसको लेकर कोई विरोध नहीं किया और आज जब धर्म का प्रचार करने को लेकर दिल्ली में केदारनाथ धाम का प्रतिकात्मक मंदिर निर्माण किया जा रहा है तो कांग्रेस को हजम नहीं हो रहा है.
उन्होंने कहा कि विरोध करना कांगे्रस की नीति बन गई है. 22 जनवरी को आयोजित श्रीराम जन्म भूमि प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का भी कांग्रेस ने विरोध किया था. 18वीं लोकसभा के पहले भाषण में विपक्ष नेता राहुल गांधी ने हिन्दुओं को हिंसक कहा था. अब दिल्ली में मंदिर निर्माण का विरोध कांग्रेस कर रही है. कांग्रेस हमेशा से ही सनातन धर्म की विरोधी रही है. हैदराबाद और मुम्बई में बद्रीनाथ धाम का मंदिर बना है. इसका तो कोई भी विरोध नहीं किया जा रहा है. उन्होंने तीर्थ पुरोहित समाज से कहा कि दिल्ली में बन रहा केदारनाथ मंदिर उत्तराखण्ड के निवासियों की ओर से बनाया जा रहा है. वे अपनी संस्कृति की पहचान देश-दुनिया तक पहुंचाना चाहते हैं. उनके इस नेक कार्य में साथ देने के वजाय विरोध करना सही नहीं है.
HIGHLIGHTS
- केदारनाथ के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा, धर्म का अहित ना करे सरकार
- मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति भी सरकार के खिलाफ
- भाजपा जिलाध्यक्ष ने कांग्रेस पर साधा निशाना, सनातन धर्म के खिलाफ रही कांग्रेस
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