उत्तराखंड राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री धन सिंह रावत अपने कार्य करने की शैली के लिए जाने जाते हैं. इनका जन्म 7 अक्टूबर, 1971 को गढ़वाल जिले के नौगांव में हुआ था. कम उम्र में ही समाज सेवा की ओर उनका झुकाव दिखने लगा था. साल 1989 में ही धन सिंह रावत ने स्वयंसेवक के रूप में आरएसएस ज्वाइन कर लिया था. अपनी जवानी में उन्होंने धन सिंह ने बाल विवाह, छुआछूट और शराब के खिलाफ अभियान छेड़ा था. इसके अलावा उन्होंने राम जन्मभूमि मूवमेंट के दौरान भी धन सिंह ने सक्रिय रूप में निभाया, इसके लिए उन्हें जेल भी जाना पड़ा था.
उत्तराखंड राज्य निर्माण के लिए चलाए गए आंदोलन में भी उनकी अहम भूमिका थी, इस दौरान भी उन्हें दो बार जेल हुई थी. धन सिंह रावत ने उत्तराखंड को अलग राज्य बनाने के लिए 59 दिनों की पदयात्रा भी की थी.
इतना ही नहीं, नक्सलवाद के खिलाफ भी धन सिंह ने 39 दिन की यात्रा निकाली थी.धन सिंह रावत ने अपने छात्र जीवन में एबीवीपी के सदस्य रहते हुए रावत ने 100 अलग-अलग कॉलेजों में 100 पेड़ लगाए थे.
वहीं, बात करें धन सिंह की शैक्षिक योग्यता की तो उन्होंने इतिहास विषय में एमए किया है और राजनीतिक विज्ञान में पीएचडी की है. राजनीति से इतर उन्होंने कई किताबें भी लिखीं हैं, जिनमें पदयात्रा, पंचायती राज: एक अध्ययन, पंच प्रयाग, पंच केदार और पंच बद्री शामिल हैं.
इसके अलावा धन सिंह रावत के नाम को लेकर भी लोगों के मन में कई तरह के सवाल उठते हैं. जिसके पीछे भी एक कहानी है, जो रावत ने खुद एक इंटरव्यू में बतायी थी. उन्होंने बताया था कि उनका नाम धन इसलिए पड़ा, क्योंकि उनके पिता ने उनकी मां को 50 रुपए का मनी ऑर्डर भेजा था. जो इत्तेफाक से उनकी मां को उसी दिन प्राप्त हुआ था जिस दिन उनका जन्म हुआ था. इस तरह उनका नाम धन पड़ गया.
गौरतलब है कि साल 2022 में उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव होने हैं. हालांकि, बीते मार्च के महीने में राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर त्रिवेंद्र सिंह रावत ने अपने पांच साल पूरे करने से पहले ही राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को अपना इस्तीफा सौंप दिया था. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा था कि धन सिंह रावत को राज्य का सीएम बनाया जा सकता है. लेकिन आखिर में पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर चुन लिया गया.
Source : News Nation Bureau