गंगोत्री धाम (Gangotri Dham) के कपाट 6 महीने शीतकालीन समय में बंद रहने के बाद अब आगामी 7 मई को खुलने जा रहे हैं. ऐसे में गंगोत्री धाम में भी इन दिनों तैयारियां जोर शोर से चल रही है. गंगोत्री धाम बाजार के व्यापारी अपनी दुकानों के साथ सज्जा में व्यस्त हैं. वहीं श्रद्धालुओं के प्रसाद और गंगाजल को लेकर व्यवस्था भी की जा रही है. जिसके साथ ही उत्तराखंड (Uttarakhand) में चार धाम यात्रा की शुरुआत भी हो जाएगी.
7 मई को सुबह 11:30 बजे पूरे विधि विधान के साथ मां गंगोत्री के कपाट खोले जाएंगे. जिसके बाद भक्त अगले 6 महीने तक गंगोत्री धाम में माता की पूजा अर्चना कर सकेंगे. उत्तरकाशी (Uttarkashi) जनपद में स्थित गंगोत्री धाम के कपाट खुलने को लेकर देश विदेश के श्रद्धालु भी गंगोत्री धाम पहुंचने लगे हैं.
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गंगोत्री धाम मंदिर में मां गंगा (Ganga) के साथ लक्ष्मी अन्नपूर्णा जानकी सरस्वती के साथ गणेश और भागीरथ भी मौजूद है. गंगोत्री धाम के कपाट खोलने को लेकर मंदिर समिति की तैयारियां भी जोरों पर है. मंदिर समिति उपाध्यक्ष अरुण सेमवाल ने जानकारी दी कि 6 मई को माता के शीतकालीन प्रवास माता के मायका मुखवा से माता की डोली भैरव घाटी में लाई जाती है. जहां रात्रि विश्राम के बाद 7 मई सुबह 11:15 बजे माता की डोली गंगोत्री धाम में लाई जाएगी. जहां प्रशासन और मंदिर समिति की मौजूदगी में गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाएंगे.
चार धाम यात्रा में इस बार प्रशासन ने पॉलिथीन के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया है. वहीं कुछ संस्थाएं चार धाम यात्रा में लोगों को धूम्रपान और मद्यपान नहीं करने को लेकर जागरूकता भी फैला रहे हैं. जिन का कहना है कि चार धाम क्षेत्रों में धूम्रपान नहीं होना चाहिए. जिसके लिए लोगों को जागरुक करने का कार्य वह चार धाम कपाट खुलने के दौरान करेंगे.
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गंगा को कलयुग में साक्षात देवी माना गया है. कहा जाता है कि कलयुग में केवल मां गंगा ही एक ऐसी देवी हैं जिनके दर्शन होते हैं और जिन्हें भक्त स्पर्श कर पाते हैं. मां गंगा में स्नान करने से लोग अपने पापों से मुक्ति पाते हैं. वहीं गंगा को लेकर सभी सरकारों ने बड़ी बड़ी बातें की हैं. गंगा सफाई को लेकर करोड़ों रुपए खर्च भी किए गए, लेकिन गंगा की स्थिति आज भी बहुत बेहतर नहीं है.
अपने पूर्वजों को मोक्ष दिलाने और पाप से मुक्ति के लिए भागीरथ गंगा को धरती पर लेकर आए थे. गंगोत्री धाम मंदिर में मां गंगा के साथ उनकी सभी बहनें भी मौजूद हैं. कहा जाता है कि मां गंगा का प्रभाव इतना ज्यादा था कि राजा भगीरथ ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वह गंगा को अपनी जटाओं में प्रवेश कराकर पृथ्वी पर लाएं और शिव की जटाओं में प्रवेश के बाद गंगा कल कल बहती हुई पृथ्वी के कोने कोने में पहुंची.
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Source : News Nation Bureau