उत्तराखंड सरकार के चार धाम देवस्थानम एक्ट पर हाई कोर्ट ने मुहर लगा दी है. तीर्थ पुरोहितों के पक्ष में भाजपा राज्य सभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी की जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. 6 जुलाई को नैनीताल हाई कोर्ट ने दोनों ही पक्षों को सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था. गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ धाम सहित 51 मंदिरों को लेकर सरकार ने चार धाम देवस्थानम एक्ट बनाया था. त्रिवेंद्र रावत सरकार को बड़ी राहत मिली है. बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी की दायर याचिका पर आज उत्तराखंड हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. उन्होंने सोमवार को हाईकोर्ट में चार धाम देवस्थानम बोर्ड के गठन और चारों धाम और हिमालयी राज्य के 51 अन्य मंदिरों के प्रबंधन के खिलाफ जनहित याचिका दायर की थी.
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अधिनियम पूरी तरह से हिंदुत्व की विचारधारा के खिलाफ
स्वामी के वकील मनीषा भंडारी ने जनहित याचिका उत्तराखंड चार धाम देवस्थानम प्रबंधन अधिनियम, 2019 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देती है, जिसके द्वारा उत्तराखंड राज्य सरकार या राज्य सरकार के अधीन किसी भी प्राधिकरण द्वारा हिंदू धार्मिक संस्थानों के प्रशासन और नियंत्रण को ले लिया गया है. सुब्रमण्यम स्वामी ने भी ट्वीट करते हुए कहा था कि राज्य सरकार के अधिनियम को खत्म करने की मांग को लेकर दायर की गई जनहित याचिका पर उत्तराखंड कोर्ट में पेश होने की उम्मीद करता हूं. उन्होंने कहा कि अधिनियम पूरी तरह से असंवैधानिक और हिंदुत्व की विचारधारा के खिलाफ है.
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सरकार ने इस सभी मंदिरों का राष्ट्रीयकरण किया
10 फरवरी को राज्य के पुजारी नियाक के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने स्वामी से मुलाकात की और चार धाम देवस्थानम प्रबंधम अधिनियम 2019 की अधिसूचना की एक प्रति के साथ जनहित याचिका के लिए कई दस्तावेज भी सौंपे. उसी दिन स्वामी ने ट्वीट कर कहा कि उत्तराखंड के 51 मंदिरों के कई पुजारियों ने उनसे मुलाकात की क्योंकि उत्तराखंड की सरकार ने इस सभी मंदिरों का राष्ट्रीयकरण किया है.