नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के विरोध में उत्तराखंड के मैदानी क्षेत्रों में कई जगह आंदोलन चल रहे हैं. इन आंदोलनों में आने वाली भीड़ के बारे में सरकार पैनी निगाह बनाए हुए है. मुख्यमंत्री ने तो इस आंदोलन में शामिल होने वाले लोगों को बाहरी बताया है और चिह्नित कर कार्रवाई करने को भी कहा है. उत्तराखण्ड राज्य में जनगणना-2011 जनगणना के अनुसार करीब 14 प्रतिशत मुस्लिम हैं. लेकिन जानकारों की मानें तो अब इनकी संख्या लगभग 20 लाख तक पहुंच गई है. लेकिन यह समुदाय पहाड़ी क्षेत्रों में आज भी न के बराबर ही है. मुस्लिम धर्म के लोगों की संख्या सबसे अधिक हरिद्वार, फिर ऊधमसिंह नगर व देहरादून में है. पर्वतीय जिलों में मुस्लिम आबादी ना के बराबर है. सीएए का आंदोलन भी मुख्य रूप से मैदानी क्षेत्रों में है. आंदोलन के शुरुआती दौर में प्रदर्शनकारियों की संख्या उतनी नहीं हो पाई, लेकिन अब इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है.
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं का कहना है कि 'मुद्दे और वोट के चक्कर में इन्हें लगातार कांग्रेसी ला रहे हैं, क्योंकि कांग्रेस यहां पर मुर्दा हो चुकी है. इसीलिए यह लोग इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं. हालांकि इस कानून से किसी की नागरिकता को कोई खतरा नहीं है. लेकिन फिर भी कांग्रेसी इसे लेकर लोगों को भड़का रहे हैं.'
उत्तराखण्ड सरकार इस प्रदर्शन को लेकर चिंतित है. वह पता लगाने में लगी है कि यह विरोध कैसे और कहां से हो रहा है. मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके प्रति सख्त रूख दिखाया है. उन्होंने तो यहां तक कह दिया है कि 'प्रदेश में जामिया मिलिया विवि और कश्मीर से कुछ लोग आए हैं, जो सीएए पर प्रदेश के लोगों को भड़काने का काम कर रहे हैं. ऐसे लोग उत्तराखंड में घुसने का प्रयास न करें.'
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रावत ने अधिकारियों को ऐसे लोगों पर निगरानी के आदेश दिए हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि जो लोग ऐसी गतिविधियों में लिप्त पाए जाएंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.
मुख्यमंत्री ने कहा है, "कई लोग योजनाबद्घ तरीके से देश का माहौल खराब करने में जुटे हैं. संवैधानिक तौर पर विरोध करने का हक सबको है, लेकिन बाहर से आकर लोग प्रदेश के लोगों को भड़काएंगे तो उन पर सख्त कार्रवाई होगी."
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सूत्रों की मानें तो सरकार इस आंदोलन से संबंधित प्रत्येक व्यक्ति पर नजर बनाए हुए है. सरकार ने अपने अधिकारियों से इन आंदोलनों को संजीदगी से लेने को कहा है. सरकार से जुड़े अन्य संगठन भी खासकर इन आंदोलन पर अपनी निगाह बनाएं हुए हैं. एक संगठन से जुड़े एक पदाधिकारी ने दावा किया है कि 'यह भीड़ कांग्रेस के इशारे पर लाई जा रही है. उन्हें ऊपर से आदेश दिए गए हैं कि आंदोलन की लौ धीमी न पड़ने पाए.'
पीपुल्स फोरम उत्तराखंड के संयोजक जयकृत कंडवाल ने आईएएनएस को बताया, "सीएए के विरोध में जितने भी लोग हैं वे उत्तराखण्ड के ही है. ऊपर से लेकर नीचे तक जुमलेबाज सरकार है."
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उन्होंने बताया, "तीस जनवरी को सीएए और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के खिलाफ बड़ा मार्च निकाले जाने की तैयारी है. आरोप कुछ भी लगाया जा सकते हैं. जनता को बरगलाने और अफवाह फैलाने का काम सरकार कर रही है. अभी हमारे आंदोलन में सामाजिक और बुद्घजीवी लोग ही भाग ले रहे हैं."
Source : IANS